पहाड़ टूटे , चट्टानें खिसकती, सड़के वहीं….. 260 सड़कें बंद, 72 की मौत. हिमाचल में मुसलाधार बारिश

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एएम नाथ । शिमला : हिमाचल प्रदेश में पिछले साल की तरह इस साल भी भारी बारिश से तबाही का मंजर देखने को मिल रहा है. हालात ये हैं कि अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोग लापता हैं. हालांकि प्रदेश में बारिश होना आम बात है लेकिन पिछले कई सालों से बारिश लोगों के लिए काल बनी हुई है।

बादल फटने और भूस्खलन से भारी नुकसान हो रहा है. आलम ये है कि लोग अपने घर में भी खुद को महफूज नहीं महसूस कर रहे हैं. लोगों में डर बना हुआ है कि कब भूस्खलन हो जाए और घर समेत परिवार के सभी लोग काल के गाल में समा समा जाएं.

प्रदेश में बीते कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण 260 से अधिक सड़कें बंद हैं जिनमें से 176 सड़कें अकेले मंडी जिले में बंद हैं. स्थानीय मौसम विभाग ने रविवार को कांगड़ा, सिरमौर और मंडी जिलों के कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की आशंका है. मौसम विभाग ने इन जिलों में भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है. इसके अलावा हमीरपुर, चंबा, सोलन, शिमला, कुल्लू ऊना, और बिलासपुर जिलों के कुछ क्षेत्रों में भारी से बहुत बारिश की आशंका जताते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है.

बारिश से अब तक 541 करोड़ का नुकसान

एक दिन में 115.6 मिमी से 204.4 मिमी के बीच हुई वर्षा को बहुत भारी वर्षा की श्रेणी में रखा जाता है, जबकि 204.4 मिमी से अधिक वर्षा को अति भारी वर्षा माना जाता है. पिछले वर्ष भारी मानसूनी बारिश के कारण राज्य में तबाही मची थी, जिसमें 550 से अधिक लोग मारे गए थे. मौसम विभाग ने लोगों को भूस्खलन, अचानक बाढ़ आने, जलभराव होने और कमजोर ढांचों, फसलों एवं आवश्यक सेवाओं को नुकसान पहुंचने की आशंका के प्रति सतर्क किया है. साथ ही नदी-नालों से दूर रहने और संवेदनशील इलाकों में न जाने की सलाह दी है.

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) के अनुसार, अब तक लगभग 541 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है. हालांकि, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वास्तविक नुकसान करीब 700 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है क्योंकि अभी सही आंकड़े नहीं आए हैं. एसईओसी के मुताबिक, बारिश के कारण करीब 300 ट्रांसफॉर्मर और 281 पेयजल योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं.

इन इलाकों में बढ़ा भूस्खलन का खतरा

राज्य के कई हिस्सों में शुक्रवार शाम से हल्की से मध्यम बारिश होने से भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है. जोगिंदरनगर में सबसे अधिक 52 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जबकि नाहन और पालमपुर में 28.8 मिमी, पांवटा साहिब में 21 मिमी, ऊना में 18 मिमी, बरठीन में 17.4 मिमी, कांगड़ा में 15.6 मिमी और नैना देवी में 12.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है.

अब तक 72 लोगों की हो चुकी मौत

मानसून की शुरुआत 20 जून से हुई थी और तब से अब तक राज्य में कुल 72 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 45 मौतें बादल फटने, अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन जैसी घटनाओं की वजह से हुई हैं. मंडी जिले में सबसे अधिक नुकसान दर्ज किया गया है जहां मंगलवार को बादल फटने, अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन की 10 घटनाएं हुईं, जिनमें 14 लोगों की जान चली गई. इन घटनाओं के बाद 31 लोग अब भी लापता हैं, जिनकी तलाश के लिए अभियान जारी है. मौसम विभाग ने राज्य के कई जिलों में शनिवार, सोमवार और मंगलवार को भारी से बहुत भारी बारिश के मद्देनजर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।

पिछले साल भी हुई थी भारी तबाही

प्रदेश में हो रही भारी बारिश से जिस तरह की तबाही देखने को मिल है, इससे लोगों के जहन में पिछले साल की यादें ताजा हो गई हैं. आंकड़ों के मुताबिक, पिछले हिमाचल भारी बारिश और भूस्खलन से 550 की जान गई थी, जबकि सैकड़ों लोग लापता थे. वहीं मौसम विभाग ने लोगों को पानी वाली जगहों पर जाने से मना किया है. इस साल भी भूस्खलन, बाढ़ और जलभराव की स्थिति बन सकती है, जिससे भारी नुकसान होने की संभावनाएं जताई गई है।

 

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