एचपीटीडीसी के 14 होटलों को निजी हाथों में देने के फैसले की सरकार करे समीक्षा : बाली

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एएम नाथ । शिमल 11 जुलाई । हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के घाटे में चल रहे 14 होटलों को संचालन एवं रखरखाव आधार पर निजी हाथों में सौंपने के सरकार के फैसले पर अब सवाल उठने लगे हैं।

पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आरएस बाली ने इस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार ने बिना तथ्यों और पूरी जानकारी के ही यह बड़ा फैसला लिया है, जबकि निगम की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने घाटे में चल रही इन इकाइयों की वित्तीय व्यवहार्यता की जांच के लिए पहले स्टडी करवाने की सिफारिश की थी।

आरएस बाली ने शुक्रवार को शिमला में पत्रकार वार्ता में कहा कि निगम की ओर से कभी भी इन होटलों को आउटसोर्स करने का प्रस्ताव सरकार को नहीं भेजा गया था। उन्होंने कहा कि यह सही है कि ये 14 होटल घाटे में हैं, लेकिन सही प्रबंधन और निवेश से इन्हें मुनाफे में बदला जा सकता है। बाली ने सरकार से मांग की कि स्टडी रिपोर्ट आने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले ढाई साल से सरकार ने पर्यटन विकास निगम को एक भी पैसा ग्रांट के रूप में नहीं दिया है। अगर सरकार फंड उपलब्ध कराए तो इन होटलों की दशा सुधारी जा सकती है और नए होटल भी बनाए जा सकते हैं।

गौरतलब है कि सरकार ने हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में एचपीटीडीसी की 14 घाटे में चल रही इकाइयों को संचालन एवं रखरखाव आधार पर निजी हाथों में देने का निर्णय लिया है, ताकि निगम की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। इस सूची में होटल हिल टॉप स्वारघाट, होटल लेकव्यू बिलासपुर, होटल भागल दाड़लाघाट, वेसाइड एमेनिटी भराड़ीघाट, होटल ममलेश्वर चिंदी, होटल एप्पल ब्लॉसम फागु, होटल शिवालिक परवाणू, होटल गिरीगंगा खड़ापत्थर, होटल चांशल रोहड़ू, टूरिस्ट इन राजगढ़, होटल सरवरी कुल्लू, होटल ओल्ड रोसकॉमन कसौली, कश्मीर हाऊस, धर्मशाला और होटल उहल जोगिंद्रनगरशामिल हैं।

प्रदेश सरकार ने प्रबंध निदेशक एचपीटीडसी को निर्देश दिए हैं कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के फैसले को तीन महीने में लागू करें और कार्रवाई रिपोर्ट दें।

एचपीटीडीसी के चेयरमैन आरएस बाली का कहना है कि निगम की मालिक राज्य सरकार है और सरकार को कोई भी फैसला लेने का अधिकार है। लेकिन बिना तथ्यात्मक स्टडी के सिर्फ घाटा देखकर निजी हाथों में सौंप देना तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि पर्यटन निगम ने इन होटलों की वित्तीय फिजिबिलिटी चेक करने के लिए कंसल्टेंट की राय लेने का फैसला किया था। रिपोर्ट के बाद ही यह तय होता कि निजी हाथों में देना सही है या नहीं।

बाली ने यह भी कहा कि सरकार अगर निगम को आर्थिक मदद दे तो न सिर्फ इन होटलों की हालत सुधारी जा सकती है बल्कि राज्य में निगम को अपने होटलों से औऱ मुनाफे में लाया जा सकता है। उन्होंने दोहराया कि पर्यटन निगम सरकार के आदेश मानने के लिए बाध्य है। लेकिन सरकार को इन घाटे वाले 14 होटलों को लेकर प्राइवेट सेक्टर को सौंपने के आदेश पर पुनर्विचार करना चाहिए।

 

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