होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : हृदयधात , कैंसर, टी बी , किडनी , फेफड़े,माइग्रेन जैसी जानलेवा बीमारियों के पिछे हमारे भवन के वास्तु दोष भी कारक होते है ऐसा मानना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवम लेखक डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का।अगर किसी भी रहवासीय इकाई में ईशान कोण में शोचालय, गंदगी, कूड़ा करकट, सिविरेज टैंक, सीढी, भारी निर्माण हो गया है तो भवन में ना ना प्रकार के रोगों का प्रवेश हो जाता है, ईशान कोण के वास्तु दोषों के साथ साथ आग्नेय कोण व नेरित्य कोण भी दूषित है पूर्व दिशा भी दूषित है और शौचालय ग़लत दिशा में है या शौचालय में लगी कम्बोड शीट ग़लत दिशा में हैं तो हृदयधात जेसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है! ईशान कोण के साथ अगर आग्नेय कोण के साथ दक्षिण दिशा में भूमिगत जल, बेसमेंट आदि होने से ऐसे घरों में खासकर महिलाए रुग्ण रहती हैं! ईशान कोण के दूषित है और उतर दिशा दूषित है तो श्वास से जुड़ी गंभीर बिमारी , फेफड़ों के संबंधित बीमारी का सामना करना पड़ सकता है!
ईशान कोण, ब्रह्म स्थल व नेरित्य में दोष है और तिर्यक रेखा पर शयन कक्ष है तो रोगों का स्थाई वास हो जाता है ऐसे घरों मे लकवा जैसी घातक बीमारी, अंग विकार आदि भी हो सकते हैं।
जिन घरो में लगातार कोई रोगी व्यक्ति है उन घरों का वास्तु निरीक्षण और आंकलन किया जाए तो ईशान कोण अवश्य दूषित मिलता है ईशान को साफ सुथरा व हल्का रख कर असाध्य रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है ! इसलिए तो वास्तु में एक मुख्य सिद्धांत है कि उतर दिशा और पूर्व दिशा एवं ईशान कोण में कम से कम निर्माण करे और निरोगी जीवन जिए !