मशीनें दानियों की, तेल लोगों का, कांग्रेसी अपने नाम बिल बनवाने के लिए लड़ रहे : जय राम ठाकुर

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आपदा में अवसर की अजूबी कहानी लिख रहे हैं कांग्रेस के नेता

चार दिन की कैबिनेट में संस्थान बंद, नौकरियां बंद के अलावा क्या है उपलब्धि

एएम नाथ। शिमला : शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने कहा कि आपदा में अवसर का अजब खेल हमारे विधानसभा क्षेत्र में चल रहा है। आपदा से त्रस्त लोग सड़के बंद होने की वजह से अपने पैसे से सड़के खुलवा रहे हैं। जिसमें जेसीबी और एलएनटी मशीनें, दानी सज्जनों ने दी। उसमें तेल हम लोग मिलकर डलवा रहे हैं। जिससे रास्ते खुल सकें। लेकिन कांग्रेस के नेता जो सड़कें प्रभावितों के खर्चे पर खुल चुकी हैं उनका बिल अपने नाम पर बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं। कुछ नेता तो मुख्यमंत्री के खासम –खास हैं। इससे ज्यादा शर्म की और कोई बात नहीं हो सकती है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि सरकार पूरी तरीके से नाकाम है और सड़के खुलवाने में फेल है। इसके बाद हमने लोगों से अपील करके डीजल के खर्चे पर मशीन मांगी थी। दानी सज्जन अपनी जेसीबी और एलएनटी मशीनें दे रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के नेता यहां भी आपदा में अवसर ही तलाश रहे हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि जिस देजी गांव में 11 लोगों की मौत हो गई है वहां पर एक महीने बाद भी लोक निर्माण विभाग जेसीबी मशीनें नहीं भेज पाया है। वहां भी हम लोगों ने आपसी सहयोग से जेसीबी मशीनें लगवाई हैं। उसके बाद भी कांग्रेस के नेताओं इस तरह की शर्मनाक हरकतें जारी है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदाग्रस्त पूरा इलाका ही पुष्प उत्पादन, कृषि उत्पादन और बागवानी निर्भर करता है। और यह सारी उत्पाद एक निर्धारित समय अवधि में मंडियों तक पहुंचने होते हैं। देर होने से पूरा का पूरा उत्पाद नष्ट हो जाता है। सड़के बंद होने की वजह से लोग अपना उत्पाद बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। आज ही बाजार ने पहुंचने से सड़ चुके उत्पाद को फेंकने का एक मामला सामने आया है। आपदा प्रभावितों के लिए यह दोहरी मार है। एक तरफ आपदा की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ सरकार की नाकामी की वजह से।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वर्तमान सरकार हर दिन कोई ना कोई नया कारनामा करती है। इस बार भी सरकार ने चार दिन की लगातार कैबिनेट बैठक रखी। एक दिन में भी की जा सकती थी। जितने भी एजेंडे थे सुबह से शाम तक बैठकर उन्हें निपटाना था। सबसे हैरानी की बात यह है कि इन मैराथन मीटिंग से प्रदेश को क्या मिला? सैकड़ो की संख्या में संस्थान बंद हुए। रोजगार रोजगार के लिए कोई नीति नहीं लाई गई। सरकार अपने उसी पुराने ढर्रे पर चल रही है। जो मित्रों और सहयोगियों के लिए समर्पित है।

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