चंडीगढ़ : श्री आनंदपुर साहिब से सांसद और पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी द्वारा प्रेस को जारी एक बयान के जरिए फिरोजपुर से सांसद और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को पहचान की सियासत से दूर रहने की सलाह दी गई है।
पूर्व उप मुख्यमंत्री द्वारा दिए एक बयान कि यदि अकाली दल 2022 में सत्ता में आती है, तो वे एक दलित को डिप्टी मुख्यमंत्री बनाएंगे, पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए सांसद तिवारी ने सुखबीर से सवाल पूछा है कि क्यों दलित को सिर्फ उप मुख्यमंत्री ही बनाया जा सकता है, वह मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता? या फिर क्या टॉप की पोजीशन किसी के लिए पक्के तौर पर तय है?
तिवारी ने कहा कि जब पहचान की सियासत की बात चलाई जाती है, तो स्पष्ट तौर पर लोग पूछेंगे कि क्यों एक हिंदू मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है या फिर ओबीसी समुदाय से संबंधित कोई व्यक्ति राज्य का मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता?
उन्होंने सुखबीर को चेतावनी देते हुए कहा कि पहचान की सियासत देश और हमारी सभ्यता के लिए समस्या बन चुकी है और यह पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के तीन शब्दों टिकी पंजाब की विचारधारा के खिलाफ है। सिख विचारधारा के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी ने “मानस की जात सभे एक पहचानबो” का संदेश दिया था। सिख धर्म की स्थापना भी आपसी समानता के विचारों के आधार पर हुई है।
उन्होंने कहा कि विदेशों में रहने वाले लाखों पंजाबी वहां सिर्फ इसलिए रह रहे हैं और काम कर रहे हैं, क्योंकि उन देशों ने ऊंच-नीच रहित समाज का ढांचा बनाया है, जहां व्यक्ति की सफलता या विफलता उसकी मेहनत से तय होती है, ना कि उसकी चमड़ी के रंग या धर्म या फिर राष्ट्रीयता से।
सांसद तिवारी ने कहा कि राज्य की टॉप पोजीशन पर किस व्यक्ति को होना चाहिए, यह उस आधार पर तय होना चाहिए कि राज्य तरक्की करे और लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो। वह सामाजिक न्याय पर पूरी तरह विश्वास रखते हैं, लेकिन प्रतीकवाद के लिए और छोटे राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सामाजिक न्याय के गलत इस्तेमाल के पूरी तरह से खिलाफ हैं।