प्रवासी मजदूरों के लिए कौंसिल अध्यक्ष संजय साहनी बना मसीहा, महाराष्ट्र के प्रवासी मजदूरों को खाने पीने की चीजें तो दी साथ में दो दर्जन मजदूरों की रेलवे टिक्टों के पैसे भी दिए

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कोरोना महांमारी में हमें एक दूसरे की मद्द करनी चाहिए:संजय साहनी
नंगल : महाराष्ट्र के दो दर्जन प्रवासी मजदूर जिनके पास ना महाराष्ट्र में घर जाने के लिए पैसे थे और ना ही कुछ खाने के लिए था। यह प्रवासी मजदूर भूखे प्यासे मद्द के लिए इधर उधर भटक रहे थें। तब कौंसिल अध्यक्ष संजय साहनी ने इन लोगों को खाने पीने की चीजें भी दी और सभी लोगों को महाराष्ट्र उनके घर तक रेलवे की टिक्ट भी लेकर दी।
महाराष्ट्र से हाजरा किल्लोमीटर का सफर करके नंगल सरहद के साथ पढ़ते हिमाचल प्रदेश,जिला ऊना में एक ठेकेदार के कहने पर महाराष्ट्र से मजदूर परिवार समेत पहुंचे थे। इन दो दर्जन मजदूरों को तब मुश्किलों का सामना करना पड़ा जब तीन दिन दिहाड़ी कराकर ठेकेदार इन मजदूरों के पाससे भाग गया। इन प्रवासी मजदूरों को गाड़ी के द्वारा ऊना से नंगल भेज दिया गया। नंगल आकर यह प्रवासी मजदूर जिन्हमें महलाएं व बच्चें भी शामिल थे,वह नंगल में इधर उधर भटकने लगे और इन मजदूरों ने रेलवे स्टेश्न के पास पेड़ो के नीचे अपना टिकाना बना लिया। इन मजदूरों की जानकारी कौंसिल अध्यक्ष संजय साहनी को मिली। जिससे वह तुरंत इन मजदूरों के पास पहुंच गए।
कौंसिल अध्यक्ष संजय साहनी को इन प्रवासी मजदूरों ने पूरी कहानी बताई। इस दौरान कौंसिल अध्यक्ष संजय साहनी ने तुरंत इन प्रवासी मजदूरों के लिए खाने की चीजों की व्यवस्था की। फिर उन्होंने इन दो दर्जन के करीब मजदूरों की महाराष्ट्र जाने के लिए रेलवे की टिकटे खरीदी और रासते में खाने पीने के लिए और स्टेशन से अपने घर पहुंचने के लिए इन प्रवासी मजदूरों को कुछ नकदी भी दी। प्रवासिओं में संतोष,गंगा,प्रशांत,पूजा,संगीता,विजय,नारायण,वंदना,शाभा भाई,निरकल आदि ने कौंसिल अध्यक्ष का दिल से आभार व्यक्त किया। कौंसिल अध्यक्ष संजय साहनी इन प्रवासी मजदूरों की सहायता के लिए करीब तीन घंटे इधर उधर घूमते रहें। कभी वह खाने की व्यवस्था करते तो कभी टिक्टों का इंतजाम कर रहें थे। रेलवे विभाग के कर्मचारी भी कौंसिल अध्यक्ष की इस कार्यप्रणाली से काफी प्रभावित हुए।
कौंसिल अध्यक्ष संजय साहनी ने कहा के मुझे किसी ने इनके बारे में बताया। मैं अपने साथी पार्षदों के साथ मौके पर पहुंचा। यह लोग मेहन्त करके अपना परिवार पालतें है। हमारे लोग इन्हें भईये कह कर बुलातें है,पर यह देश की तरक्की के पहिए है। इनका पूरा इंतजाम कर दिया है,इन्हें खाने की चीजें देदी है। बाकी इनकी टिक्ट बुक करवा दी है। टिक्ट के लगे पैसों के बारे में बार बार पूछने पर कौंसिल अध्यक्ष ने बताया के एक टिक्ट 365 रुपए की लगी। यह चण्डीगढ़ से आगे की टिक्ट है।नंगल से चण्डीगढ़ का किराया अलग से दिया गया। कौंसिल अध्यक्ष ने कहा के इन प्रवासी मजदूरों की पूरी जिम्मेबारी कौंसिल पार्षद विदया सागर को दी गई है। अगर इन प्रवासी मजदूरों को कोई दिक्कत आती है तो वह विदया सागर जी से संपर्क कर लेंगे।
फोटो:प्रवासी मजदूरों को टिक्ट फार्म भराने के समय कौंसिल अध्यक्ष संजय साहनी ।
बच्चों खाने पीने की चीजें बांटते हुए

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