भाजपा ने सीवरेज फीस घटाकर आधा किया, सुक्खू सरकार ने टॉयलेट टैक्स लगाया  : जयराम ठाकुर

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व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्था का पतन कर रहे हैं मुख्यमंत्री,  बच्चों के स्कूली बैग पर भी एचआरटीसी ने लगा दिया अलग किराया
एएम नाथ। धर्मशाला :   धर्मशाला में मीडिया को संबोधित करते हुए जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार को विभिन्न मुद्दों पर गिरते हुए कांग्रेस के सभी आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि 2005 से बिजली के बिल का 50% सीवरेज टैक्स के रूप में वसूला जाता था जिसे हमारी सरकार ने घटाकर 30% कर दिया था। 6 अगस्त 2020 को जारी की गई अधिसूचना को सरकार के लोग जाकर देख और पढ़ सकते हैं। मुख्यमंत्री अपने किए गए सारे गलत कामों को जस्टिफाई करने के लिए पूर्व सरकार पर दोषारोपण  करने से बाज आए।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता में आते ही सरकार ने व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया था लेकिन आज जो हाल है वह व्यवस्था पतन का है। इस सरकार में हिमाचल प्रदेश को बेचने के हिम्मत आ गई है। आज कृषि विश्वविद्यालय के जमीन को अपने चहेतों को बेची जा रही है। और इसमें स्थानीय विधायक द्वारा कुछ बोला ही नहीं जा रहा है। यह बात मानी विधानसभा में भी साफ कही थी अगर यह काम मेरी विधानसभा क्षेत्र के अंदर सरकार करने की कोशिश कर दी तो मैं यूनिवर्सिटी की 1 इंच जमीन भी सरकार को छूने नहीं देता। वर्तमान सरकार की क्रियाकलाप को देखकर कांग्रेस आलाकमान भी हिमाचल के नेतृत्व पर गंभीरता से विचार कर रही हैं।
हिमाचल प्रदेश में बनने वाले एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए राज्य सरकार द्वारा 30 करोड़  रुपए जमा करने थे, धीरे- धीरे 2 साल बीत गए सरकार ने 30 करोड रुपए जमा नहीं किया जिसकी वजह से विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण का कार्य रुका पड़ा है। आज कांगड़ा प्रवास के दौरान कई लोग मुझसे मिले जिन्होंने बताया कि हिम केयर का  क्या हाल है? सरकार कहती है कि डॉक्टर घोटाला करते हैं इसलिए निजी अस्पतालों में इलाज बंद कर दिया और सरकारी अस्पताल के हाल भी लगभग वही है जहां नहीं इलाज हो रहा है न किसी प्रकार के ऑपरेशन। सरकार को हमने फर्स्ट कहा कि अगर कहीं एक पैसे का भी घोटाला हो रहा है तो आप जांच करिए और उसे सजा दिलाइए  लेकिन मुख्यमंत्री ने हिम केयर को बंद करना ही ज्यादा उचित समझा।
इसी प्रकार  जब से नई सरकार आई है एचआरटीसी में हर दिन कोई न कोई अजीबोगरीब फैसले आते रहते हैं। इसके चलते प्रदेश के लोग हृदय परेशान होते रहते हैं। फरमान इस बार आया है कि 5 किलो के बैग का भी किराया वसूला जाएगा। यानी कि स्कूल के बैग का भी किराया वसूला जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर नाकाम है और सरकार के खिलाफ सही खबर लिखने पर अब सरकार उन पर शिकंजा करना चाहती है। इसलिए उन्हें मुकदमे और तानाशाही के दम पर डराना चाहती है। यह कृत्य लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। हम भी जब सरकार में थे हमारे खिलाफ भी मीडिया लिखना था लेकिन हमने हमेशा उसे सकारात्मक रूप से लिया और जहां कमी दिखी वहां सुधार किया। जनता पार्टी सरकार की इस कृत्य की निंदा करती है।
केंद्र सरकार हर प्रकार से हिमाचल प्रदेश की मदद कर रही है। बजट के तहत निर्धारित प्रावधानों में लगातार पैसे दे रही है। एडवांस टैक्स शेयर देने के बाद ही हिमाचल प्रदेश की सरकार इस महीने वेतन देने की स्थिति में आई है। संघीय ढांचे की बात करने वाले मुख्यमंत्री है बताएं कि वह कौन से पैसे की बात कर रहे हैं जो केंद्र सरकारों ने नहीं दे रही है। हिमाचल प्रदेश केंद्र सरकार के प्राथमिकता में पहले भी था और आज भी है इसलिए मुख्यमंत्री नैतिकता के आधार पर केंद्र सरकार का आभार भी किया करें।
आज प्रदेश में निवेश के खिलाफ किस तरीके का माहौल है वह किसी से छुपानहीं है। प्रदेश सरकार निजी क्षेत्र में निवेश के सख्त खिलाफ है ऐसा माहौल बना रही है कि जो भी उद्योग हिमाचल में है वह भी हिमाचल प्रदेश से बाहर जा रहे हैं। हिमाचल के लिए हर लिहाज से बहुत खतरनाक है सरकार को उद्योगों को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण और प्रभावित कदम उठाने होंगे।
कॉस्ट कटिंग के नाम पर आज बिजली बोर्ड के 80 से ज्यादा ड्राइवर की सेवाएं सरकार ने समाप्त कर दी। बीते कल बिजली बोर्ड के एक्सईएन और एसडीओ की 51 पदों को डिनोटिफाई कर दिया। जिसका मतलब हुआ कि वे सारे पद खत्म हो गए हैं। चार दिन पहले नादौन में जल शक्ति विभाग के सबसे ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी को बाहर कर दिया।
लोगों को नौकरियां से निकलना, कर्मचारियों का वेतन रोकना आउटसोर्स के कर्मचारियों को कई-कई महीने वेतन न देना सुक्खू सरकार की दिनचर्या का हिस्सा हो गया है। मुख्यमंत्री और उनके तमाम सहयोगियों को यह बताना चाहिए कि समय चल क्या रहा है प्रदेश में। अखबारों में खबरें छपवाते हैं कि दीपावली का तोहफा दिया जा रहा है और  दीपावली के तोहफे के नाम पर आउटसोर्स कर्मियों की नौकरियां ली जा रही हैं।
मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और सरकार के सारे मंत्री हर दिन सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं लेकिन फैसला इतने छोटे इतने संकीर्ण हृदय के साथ कर रहे हैं जिसका कोई मुकाबला नहीं है। जो व्यक्ति सालों से सेवाएं दे रहे हैं अपने जीवन का बड़ा हिस्सा इस सेवा में खपा चुके हैं एक दिन सरकार  उनके बारे में फैसला करती है कि उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाए ऐसे में यह सवाल उठता है कि वह लोग कहां जाएंगे उनके परिवार का क्या होगा।
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