तख्त केसगढ़ साहिब का कार्यभार ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज ने संभाला

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आनंदपुर साहिब, 10 मार्च :  पंजाब के रूपनगर जिले के आनंदपुर साहिब में स्थित तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज ने सोमवार को काम काज संभाल लिया । शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा दो जत्थेदारों को हटाए जाने को लेकर जारी विवाद के बीच गडगज की नियुक्ति हुयी है।

विभिन्न निहंग समूहों ने नए जत्थेदार की नियुक्ति का विरोध करते हुए कहा कि ‘खालसा पंथ’ उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगा।  हालांकि गडगज ने पूरे सिख समुदाय से वर्तमान ‘पंथिक’ स्थिति के मद्देनजर एकजुट होने का आह्वान किया और कहा कि ‘गुरमत’ (सिख गुरु की शिक्षाओं) के अनुसार जारी अकाल तख्त के दो दिसंबर के फरमान अपरिवर्तनीय हैं।  समारोह निर्धारित समय सुबह 10 बजे के बजाय सोमवार तड़के आयोजित किया गया, जाहिर तौर पर विभिन्न निहंग संगठनों द्वारा इस कार्यक्रम को विफल करने की धमकियों के मद्देनजर ऐसा किया गया।
एसजीपीसी ने सात मार्च को कुलदीप सिंह गडगज को तख्त श्री केसगढ़ साहिब का जत्थेदार नियुक्त किया। वह अमृतसर में सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार के रूप में भी सेवाएं देंगे। यह नियुक्ति एसजीपीसी द्वारा ज्ञानी रघबीर सिंह को अकाल तख्त के जत्थेदार के पद से और ज्ञानी सुल्तान सिंह को तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार के पद से हटाए जाने के बाद की गई थी।
                 इन दोनों को जत्थेदार के पद से हटाए जाने के एसजीपीसी कार्यकारी समिति के फैसले की शिरोमणि अकाली दल एसएडी) के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया और उनकी पार्टी के कुछ सहयोगियों समेत विभिन्न सिख, अकाली और अन्य राजनीतिक नेताओं ने कड़ी निंदा की।
कुलदीप सिंह गडगज ने सोमवार को जत्थेदार का पदभार संभालने से पहले तख्त श्री केसगढ़ साहिब में मत्था टेका। समारोह से पहले तख्त के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जोगिंदर सिंह ने अरदास की, जिसके बाद पंज प्यारों ने कुलदीप सिंह गडगज को औपचारिक तौर पर पगड़ी भेंट की। एसजीपीसी सचिव प्रताप सिंह और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के प्रबंधक मलकीत सिंह ने भी उनके सम्मान में उन्हें पगड़ी भेंट की।
इसके अलावा, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के ‘ग्रंथियों’ ने उन्हें ‘सिरोपा’ से सम्मानित किया।
हालांकि, विभिन्न निहंग संगठनों द्वारा जत्थेदार की नियुक्ति पर सवाल उठाए गए थे, जिसमें दावा किया गया था कि गडगज के कार्यभार संभालने के दौरान ‘मर्यादा’ (आचार संहिता) का पालन नहीं किया गया था।
निहंग समूह ‘बाबा बुड्ढा दल 96 करोड़ी’ के प्रमुख बाबा बलबीर सिंह ने कहा कि इस अवसर पर एसजीपीसी अध्यक्ष, एसजीपीसी के मुख्य सचिव, स्वर्ण मंदिर के ‘मुख्य ग्रंथी’ और अन्य कोई भी ‘संत महापुरख’ मौजूद नहीं थे।
सिंह ने आनंदपुर साहिब में संवाददाताओं से कहा, ”हम ‘मर्यादा’ के उल्लंघन का कड़ा विरोध करते हैं।”
यह पूछे जाने पर कि क्या निहंग संगठन गडगज को जत्थेदार के रूप में स्वीकार करते हैं, उन्होंने कहा कि सभी निहंग संगठन और ‘खालसा पंथ’ उन्हें स्वीकार नहीं करते हैं।
दमदमी टकसाल के प्रवक्ता ने भी कहा कि ‘खालसा पंथ’ कभी भी नए जत्थेदार को स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि उन्होंने सिख समुदाय से गडगज का विरोध करने को कहा है।  इस बीच, एसजीपीसी अधिकारियों ने दावा किया कि समारोह गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में आयोजित किया गया था और यह ‘रहत मर्यादा’ (सिख आचार संहिता) के अनुसार किया गया था।

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