होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : वास्तु शास्त्र में भूखंड ओर भवन के आकार को अति विशेष महत्व दिया गया है इसका हमारे प्राचीन साहित्य और शास्त्रों में बखूबी वर्णन किया गया है अशोभनीय आकृति को निंदनीय माना गया हैं।अंतर्राष्ट्रीय वास्तुविद एवम लेखक डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का मानना है कि जिस आवास में हम निवास कर रहे हैं वह आयताकार, वर्गाकार है तो शुभता की श्रेणी में आता है। बशर्त है कि भूखंड सूर्य भेदी या चंद्र भेदी न हो।आयताकार भूखंड में भी अगर भवन भुजा पसार है और इकाई का निर्माण वास्तु के अनुरूप है तो वह भवन महल से कम नहीं होगा वहा के रहने वाले हर व्यक्ति को अपार धन दौलत के साथ सफलता मिलेगी। भुजा पसार भवन व्यवसायिक है तो वहा पर लक्ष्मी आगमन की अपार संभावनाएं बनती है। एक ही भवन में आन्तरिक कमरे में अगर भुजा पसार और पेट पसार है तो पेट पसार में रहने वाले असफल ओर भुजा पसार में रहने वाले सफल नज़र आयेंगे।इसके विपरित अगर भूखंड पेट पसार होने के साथ सूर्य भेदी या चंद्र भेदी है तो वहा के निवासियों को बार बार असफलता का सामना करना पड़ेगा। पेट पसार और भुजा पसार भवनों के साथ अगर आकृति त्रिकोणीय, पंचकोणीय, षठकोणीय, या अशोभनीय आकृति है या कोई कोण घट या बढ़ रहा है तो भी अभुभ फलदाई होता है। वास्तु में सिर्फ ईशान कोण के बढ़ने को ही शुभ माना गया हैं किसी भी आकृति में ईशान कोण कट गया तो मालिक के पास धन शिक्षा संतान रोग आदि की समस्या हमेशा रहेंगी। एवं दक्षिण दिशा का विस्तार कर दिया गया है तो ना ना प्रकार के संकटों का आगमन होता रहेगा यहां तक कि मरण तुल्य कष्टों का सामना भी करना पड़ सकता है।