DSP के अचानक ट्रांसफर ने उठाए सवाल – क्या तबादला कांग्रेस विधायक के बेटे पर की गई कार्रवाई का नतीजा ?

by
एएम नाथ।  शिमला : हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ में तैनात डीएसपी अनिल शर्मा का अचानक तबादला चर्चा का विषय बन गया है। 2015 बैच के इस होनहार और युवा अधिकारी को सिर्फ छह महीने के कार्यकाल के बाद बैजनाथ से पीटीसी डरोह भेज दिया गया। सवाल उठ रहे हैं कि क्या उनका तबादला बैजनाथ के कांग्रेस विधायक किशोरी लाल के बेटे पर की गई कार्रवाई का नतीजा है?
           डीएसपी अनिल शर्मा ने 2 नवंबर को विधायक किशोरी लाल के बेटे का पैराग्लाइडिंग के दौरान नियम तोड़ने और पुलिस से बदसलूकी करने पर चालान किया था। यह मामला चर्चा में आ गया था। अनिल शर्मा की इस त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई के बाद अचानक उनका तबादला कर दिया गया। हालांकि प्रशासन ने इसे सामान्य तबादला बताया है, लेकिन जनता में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह कदम विधायक के दबाव में उठाया गया?
                           22 साल की उम्र में हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा में सबसे युवा डीएसपी बनने वाले अनिल शर्मा ने बैजनाथ में कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए उल्लेखनीय काम किए थे। छह महीने के छोटे से कार्यकाल में उन्होंने नशा माफिया, अवैध खनन और यातायात व्यवस्था पर सख्त कार्रवाई की। उनके नेतृत्व में एनडीपीएस एक्ट के तहत 10 केस दर्ज हुए, अवैध शराब के 12 मामलों में कार्रवाई की गई, और सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाले कई मामलों पर अंकुश लगाया गया।
                      इतना ही नहीं, अनिल शर्मा ने युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए और बीड़ व बैजनाथ क्षेत्रों में सीसीटीवी निगरानी परियोजनाओं की शुरुआत की। बीड़ में यह परियोजना पूरी हो चुकी थी, जबकि बैजनाथ में काम जारी था। ऐसे अधिकारी, जो जनता के हित में काम कर रहे थे, का अचानक तबादला होना कई सवाल खड़े करता है। क्या डीएसपी का तबादला इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने विधायक के बेटे पर कार्रवाई की? क्या कांग्रेस सरकार में विधायक के परिवार को कानून से ऊपर माना जाएगा? अगर ऐसा है, तो यह प्रदेश में कानून-व्यवस्था के लिए खतरनाक संकेत है।
                     यह घटना दिखाती है कि जब एक पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करता है, तो उसे सरकार का समर्थन नहीं मिलता। क्या हिमाचल प्रदेश में प्रशासन बड़ा है या विधायक का बेटा? क्या यह कांग्रेस सरकार का तरीका है कि जो अधिकारी नियमों का पालन करे, उसे ही सजा दी जाए? ऐसे फैसले न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर करते हैं, बल्कि जनता का कानून और न्याय व्यवस्था पर से भरोसा भी उठाते हैं। हिमाचल के लोगों को यह सोचने की जरूरत है कि क्या ऐसे नेताओं के दबाव में काम करने वाली सरकार उनके अधिकारों की रक्षा कर पाएगी?
Share
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  

You may also like

article-image
हिमाचल प्रदेश

20 को बल्ह के घौड़ में होगा ‘‘सरकार गांव के द्वार’’ कार्यक्रम : उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री करेंगे कार्यक्रम की अध्यक्षता

मंडी 19 जनवरी । मंडी जिला के बल्ह विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत सरध्वार के गांव घोैड़ के खेल मैदान में 20 जनवरी शनिवार को सुबह 10 बजे ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम का...
article-image
हिमाचल प्रदेश

भरमौर में जनजातीय विकास मंत्री ने किया जनजातीय कन्या छात्रावास आवासीय विद्यालय का निरीक्षण

बच्चियों से किया सीधा संवाद कर जानी सुविधाएं चंबा, (भरमौर ), 30 सितंबर राजस्व, बागवानी एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने आज जनजातीय क्षेत्र भरमौर में राजकीय जनजातीय आवासीय विद्यालय का निरीक्षण...
article-image
हिमाचल प्रदेश

चिंतपूर्णी में आयोजित पोषण पखवाड़े में शामिल हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कर्नल डॉ. धनी राम शांडिल

राज्य सरकार कुपोषण के उन्मूलन को लेकर प्रतिबद्ध – कर्नल डॉ. धनी राम शांडिल रोहित जसवाल।  चिंतपूर्णी, 16 अप्रैल। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और स्वास्थ्य मंत्री कर्नल डॉ. धनी राम शांडिल आज चिंतपूर्णी विधानसभा...
article-image
हिमाचल प्रदेश

वायुसेना कर्मी यौन उत्पीड़न मामले में दोषी : अदालत ने सुनाई एक वर्ष की कठोर कारावास की सजा

एएम नाथ । मंडी : न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी सरकाघाट के न्यायालय ने एक महिला का यौन उत्पीड़न करने के दोषी वायुसेना कर्मी दिनेश कुमार एक वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है।...
Translate »
error: Content is protected !!