नई दिल्ली । दिल्ली एनसीआर गुरुग्राम में कथित जमीन घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। रियल एस्टेट ग्रुप एम3एम का 300 करोड़ रुपये से अधिक कीमत का जमीन जब्त कर ली है। इस मामले का तार कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी जुड़ा है। भूखंड को कुर्क करने के लिए संघीय जांच एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत एक अंतिम आदेश जारी किया था। एक बयान में कहा गया कि 88.29 एकड़ भूमि हरियाणा के गुरुग्राम जिले में हरसरू तहसील के बशारिया गांव में स्थित है। ईडी ने एक बयान में कहा कि इस भूखंड की कीमत 300.11 करोड़ रुपये है। वहीं, रियल एस्टेट समूह के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि वे ”ईडी द्वारा भूखंड को अस्थायी रूप से कुर्क करने के लिए की गई बेहद अनुचित, अन्यायपूर्ण और अनावश्यक कार्रवाई से बेहद नाराज हैं।
यह भूखंड किसी भी तरह से किसी अपराध से जुड़ा नहीं है और किसी भी परिस्थिति में पीएमएलए के तहत अपराध की आय के दायरे में नहीं आ सकता है।” धन शोधन का यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की प्राथमिकी पर आधारित है, जो हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता हुड्डा, नगर एवं ग्राम नियोजन निदेशालय (DTCP) के पूर्व निदेशक त्रिलोक चंद गुप्ता, रियल्टी समूह आर एस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (RSIPL) और 14 अन्य कंपनियों के खिलाफ दर्ज की गई थी। ईडी ने कहा कि आरोप है कि आरोपियों ने जमीन मालिकों हरियाणा राज्य और तत्कालीन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) समेत अन्य को धोखा दिया गया। ईडी ने कहा कि आरोपियों ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 4 और उसके बाद संबंधित भूस्वामियों की भूमि अधिग्रहण करने के लिए धारा 6 के तहत अधिसूचना जारी करवाकर उनके साथ धोखाधड़ी की। एजेंसी ने कहा कि इससे उन्हें अपनी जमीन को मौजूदा कीमत से कम कीमत पर रियल एस्टेट कंपनियों को बेचने के लिए ”मजबूर” होना पड़ा।
एजेंसी के अनुसार, आरोपियों ने ”धोखाधड़ी और बेईमानी से” अधिसूचित भूमि पर आशय पत्र (LOI) या लाइसेंस प्राप्त कर लिए, जिससे भूस्वामियों और हरियाणा राज्य को नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने स्वयं गलत लाभ अर्जित किया। एम3एम ने कहा कि संबंधित भूखंड के लिए उसने भारी निवेश किया है जहां आवासीय या वाणिज्यिक परियोजना स्थापित किए जाने की संभावना है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ”इस परियोजना की क्षमता को भी नजरअंदाज कर दिया गया है जो हजारों परिवारों के लिए रोजगार पैदा करेगी। इसलिए, संपत्ति को जब्त करने की ईडी की कार्रवाई न तो कानूनन उचित है और न ही न्याय और समानता के नजरिए से उचित है।