शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने सोमवार को तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। धामी का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब कुछ दिन पहले अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने एसजीपीसी द्वारा दमदमा साहिब के जत्थेदार के रूप में ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सेवाएं समाप्त करने की कड़ी निंदा की थी। धामी ने कहा कि वे हमेशा सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ अकाल तख्त के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाना बेहद निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण : ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सेवा समाप्ति पर जत्थेदार रघबीर सिंह के ‘फेसबुक’ पर 13 फरवरी के पोस्ट का हवाला देते हुए धामी ने कहा कि उन्होंने लिखा था कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाना बेहद निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। अमृतसर में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं ‘प्रधान’ (एसजीपीसी का अध्यक्ष) होने के नाते जिम्मेदारी लेता हूं और नैतिक आधार पर तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा देता हूं।आज अमृतसर आएंगे 119 अवैध प्रवासी भारतीय, क्यों नाराज हुए पंजाब CM भगवंत मान?
अकाल तख्त जत्थेदार को पत्र लिखा है : धामी ने यह भी कहा कि उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नए सदस्यता अभियान की निगरानी के लिए गठित 7 सदस्यीय समिति में उन्हें उनके पद से मुक्त करने के लिए अकाल तख्त जत्थेदार को पत्र लिखा है। ज्ञानी रघबीर सिंह ने ‘फेसबुक’ पर 13
फरवरी को एक पोस्ट लिखकर बठिंडा में तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार के रूप में हरप्रीत सिंह की सेवाओं को बर्खास्त करने की निंदा की थी।करतारपुर साहिब यात्रा : पंजाब बंद और कठिनाइयों भरी पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब की यात्रा के लिए वाहेगुरु तेरा शुकर
पोस्ट में उन्होंने कहा था कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाया जाना अत्यधिक निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है, जो ‘तख्त साहिबों’ के स्वतंत्र अस्तित्व को नुकसान पहुंचाएगा। एसजीपीसी ने 10 दिसंबर को बठिंडा में तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार के रूप में ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सेवाओं को बर्खास्त कर दिया था। यह निर्णय एसजीपीसी की कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान लिया गया। समिति ने 18 साल पुराने घरेलू विवाद के मामले में ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए गठित 3 सदस्यीय समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।