हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महिला टीचर को सजा सुनाई है। वजह, स्कूल में बेटे की शादी का आयोजना कराना। सजा सुनाई गई है, स्कूल कैंपस में दो वाटर प्यूरीफायर लगवाना। घटना हमीरपुर के सरकारी स्कूल की है। मगर शिक्षिका को सजा दिलाना इतना सरल नहीं था। स्थानीय निवासी ने करीब तीन साल का लंबा इंतजार किया है। इस बीच उसने तमाम शिकायतें की तब जाकर ये फैसला आया। पढ़िए आखिर शशिकांत ने कैसे और किस आधार पर सजा दिलवाई।
घटना के बारे में दर्ज कराई शिकायत : घटना करीब 3 साल पहले की हमीरपुर के एक सरकारी स्कूल की है। तारीख थी 5 नवंबर 2021। सुलगवान गांव के जाहू कलां स्कूल में ये आयोजन हुआ था। इसमें हेडमास्टर समेत अन्य अध्यापक भी मौजूद थे। इस घटना के बारे में स्थानीय निवासी शशिकांत ने शिकायत की थी। उसने स्कूल प्रशासन और ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा विभाग (बीईईओ) को भी ईमेल लिखकर शिकायत की थी। इसके अलावा उसने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी शिकायत जर्द कराई थी।
नहीं हुई सुनवाई तो RTI का लिया सहारा : शशिकांत के शिकायत लिखवाने के बाद बीईईओ ने 8 नवंबर को जांच की। इसमें दर्ज की गई शिकायत सही पाई गई। लेकिन अधिकारियों द्वारा किसी भी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया गया। सीएम हेल्पलाइन से भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला तो शशिकांत ने तथ्यों को जुटाया और आरटीआई लगा दी। इसके बाद उन्होंने अप्रैल 2022 में हाईकोर्ट के 2012 के आदेश का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में एक अपील लगाई।
हाईकोर्ट के इस आदेश के तहत दायर हुई याचिका : आपको बता दें कि साल 2012 में हिमाचल प्रदेश की हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया था। इसमें कहा गया था कि सकारी स्कूल में किसी भी तरह का राजनीतिक और प्राइवेट आयोजन नहीं होगा। शशिकांत ने याचिका दायर करते समय बीईईओ,राज्य शिक्षा विभाग के डायरेक्टर और स्कूल के हेडमास्टर और कार्यक्रम का आयोजन कराने वाली महिला को उत्तरदायी बनाया है।
4 हफ्ते में 2 वाटर प्यूरीफायर लगाने का आदेश : बीते सप्ताह इस मामले को उठाया गया था, तो महिला टीचर ने हाईकोर्ट से माफी मांगी थी। अधिकारियों ने बताया कि इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश मोहन गोयल कर रहे थे। उन्होंने फैसला सुनाते हुए महिला को 4 सप्ताह के अंदर स्कूल में दो वाटर प्यूरीफायर लगवाने का आदेश दिया था। पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 18 अक्टूबर तय की है। इसके साथ ही रिटायर प्रिंसपल को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया है। कोर्ट अगली सुनवाई में शिक्षा विभाग के उन अधिकारियों की जांच करेगा जो इस मामले में जुड़े थे।