होशियारपुर । होशियारपुर जिले के जनौरी गांव की लेफ्टिनेंट पारुल धडवाल ने इतिहास रच दिया है. वह सेना में कमीशन होने वाली अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं. ये परिवार अपनी सैन्य परंपरा के लिए प्रसिद्ध है।
पारुल धडवाल परिवार से पहली महिला सैन्य अधिकारी बनी हैं. उन्हें 6 सितंबर 2025 को चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) से पासआउट होने के बाद भारतीय सेना के ऑर्डनेंस कॉर्प्स में कमीशन मिला।
पारुल की कमीशनिंग धडवाल परिवार के लिए एक उल्लेखनीय क्षण रहा, जहां विरासत और आधुनिकता का संगम होता है. पारुल ने अपने कोर्स में पहला स्थान हासिल कर प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल जीता, जो उनकी मेहनत और उत्कृष्टता को दर्शाता है. पारुल का परिवार पांच पीढ़ियों से सेना में अपनी सेवा दे रहा है. उनके परदादा सूबेदार हरनाम सिंह ने 1896 से 1924 तक 74वीं पंजाबी रेजिमेंट में सेवा दी. उनके दादा मेजर एलएस धडवाल 3 जाट रेजिमेंट में थे।
तीसरी पीढ़ी में कर्नल दलबीर सिंह धडवाल (7 जम्मू-कश्मीर राइफल्स) और ब्रिगेडियर जगत जामवाल (3 कुमाऊं) ने देश की सेवा की. यह परंपरा उनके पिता मेजर जनरल केएस धडवाल (सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल) और भाई कैप्टन धनंजय धडवाल के साथ जारी है. दोनों वर्तमान में 20 सिख रेजिमेंट में हैं. एक ही परिवार की दो पीढ़ियों से तीन सेवारत सैन्य अधिकारियों का यह दुर्लभ उदाहरण देश के प्रति उनकी अटूट निष्ठा को दर्शाता है।