नोएडा : नोएडा सेक्टर 63 थाने की पुलिस ने फर्जी एसपी और जिला कलेक्टर को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। ये फर्जी अफसर दो गनर लेकर चलता था। खुद को गृह मंत्रालय का ज्वाइंट डायरेक्टर बताता था। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से एक रिवाल्वर और पिस्टल बरामद की है। धीरेंद्र यादव नाम का ये फर्जी अफसर लाल बत्ती की गाड़ी का इस्तेमाल करता था। ये आरोपी कई बड़े अफसरों के पास आया जाया करता था और तमाम अवैध काम कराने का दबाव बनाता था। इस आरोपी ने कई भोले भाले लोगों से धोखाधड़ी की है। दरअसल 20 अगस्त को एक शिकायत मिली थी। शिकायत करने वाले ने बताया कि वो अपनी पत्नी के साथ सब्जी लेकर अपने घर जा रहा था।
दो गनर, ड्राइवर और लालबत्ती
तभी रास्ते में चेतराम वाली गली में पानी के प्लांट के पास बाले यादव नाम के शख्स ने उसकी पत्नी के साथ गाली गलौच की। लाठी डंडे से मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। इस घटना में मारपीट पत्नी को चोटें आयीं। इस मामले की पुलिस जांच कर रही थी कि 21 तारीख को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक ऑडियो क्लिप वायरल हुई, जिसमें किसी नारायन वर्मा नाम के शख्स ने फर्जी एसपी व जिला कलेक्टर बनकर पीड़ित के पास कॉल की। नारायण वर्मा ने पीड़ित को बताया गया कि वह एसपी कार्यालय से साइबर सेल का प्रभारी बात कर रहा है। वर्मा ने पीडि़त को बताया कि मारपीट की घटना के चलते उसके पास गिरफ्तारी वारण्ट है।
गृह मंत्रालय में ज्वाइंट डायरेक्टर हूं!
आरोपी की गिरफ्तारी करने और 06 महीने तक सुनवाई ना करके उसकी जमानत ना होने देने के लिए ऑनलाइन 3000 रूपये की मांग की गयी। ये सुनकर पीड़ित ने किसी भी तरह पैसे देने से मना किया गया तो नारायन वर्मा ने पीड़ित से गाली-गलौच की और मुकदमें कोई कार्यवाही ना करने धमकी दी। ये आडियो क्लिप पुलिस के पास पहुंची तो पुलिस अफसरों ने नारायण वर्मा की तलाश शुरु कर दी। लोकल इंटेलिजेंस और गुप्त सूचना मिलने पर पुलिस टीम ने पता किया तो जानकारी मिली की जिसे नारायण वर्मा को पुलिस तलाश रही है उसका असली नाम धीरेन्द्र यादव है जो कि टीकमगढ़ मध्य प्रदेश का रहने वाला है।
नोएडा में पकड़ा गया फर्जी IAS
पुलिस ने 22 अगस्त को छापेमारी की और धीरेन्द्र यादव को उसके गांव बारी से गिरफ्तार कर लिया। धीरेंद्र की गिरफ्तारी पर खुलासा हुआ कि वो फर्जी एसपी जिला कलेक्टर बनकर रह रहा था। ये धोखाधड़ी वो पिछले एक साल से कर रहा था। इससे पहले भी वो गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में धोखाधड़ी कर चुका था। आरोपी ने पूछताछ में यह भी बताया कि उसके गांव में करीब 7-8 लडके यही काम करते हैं। जो सुबह के समय जंगल में चले जाते है तथा यूपी कॉप एप से एफआईआर निकालते है और यूपी कॉप एप में टाईटल को देखकर यह जानकारी करते हैं कि किस तरह का मुकदमा किन धाराओं में लिखा गया है। इसके बाद ये फर्जी अफसर जांच अधिकारी का भी नाम पता कर लेते हैं।
कई कारोबारी पर थी नजर
उसके बाद अपना टारगेट फिक्स करते है। ठगी करने वाले लोग कानून में आईपीसी-बीएनएस की धाराओ की अच्छी जानकारी रखते हैं। ये फर्जी अफसर पीड़ित से करीब 3,000 से 5,000 रूपये की मांग की जाती थी, जिससे कि कोई भी पीड़ित उसको आसानी से रूपये का ऑनलाइन ट्राजक्सन कर सके। जिस सिम से कॉल की जाती है उस सिम के धारक का नाम पता फर्जी रहता है, फर्जी सिम ये आरोपी अपने ही गांव बारी के रहने वाले पुष्पेन्द्र यादव से लिया करते थे। ट्रांजक्सन में पुष्पेन्द्र यादव का ही अकांउट यूपीआई-क्यूआर कोड का इस्तेमाल होता था। जिसके लिए उसको हर ट्रांजक्शन पर 20 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। हाल ही में थाना फेस-1, नोएडा में हुई किडनैपिंग के केस में भी अपहृत की बरामदगी के आरोपी को कॉल करके मुकदमें को खत्म कराने के लिए 1000 की मांग की गयी थी। जिसके केस में भी थाना फेस-1, नोएडा मे मुकदमा दर्ज है।