एएम नाथ। चम्बा : भ्रूण-लिंग परीक्षण जैसे अपराध खत्म करने के लिए सरकार ने सख्त कानून बनाए हैं, लेकिन इनके सकारात्मक परिणाम नहीं आ पा रहे हैं। सरकार ने गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जानने की गरज से परीक्षण कराने वालों को सजा दिलाने के लिए पीसी-पीएनडीटी (पूर्व गर्भाधान और पूर्व निदान तकनीक) एक्ट बनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस एक्ट से जुड़े मामलों को 6 माह के भीतर निराकृत करने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद भी स्थिति जस की तस है। ये बात जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश चौधरी ने कही।
महिला एवं बाल विकास विभाग चम्बा ने वीरवार को मिलेनीनियम बी.एड. कॉलेज सरु में गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक PCPNDT एक्ट के बारे में जानकारी दी गई l इस दौरान बी.एड. कॉलेज के प्रिंसिपल द्वारा कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आयुष विभाग से डॉ. उमा ने कन्या भ्रूण हत्या, लिंग जांच के प्रति जागरूकता और इनके प्रति कानून जानकारी साँझा की।
जिला मिशन समन्वयक मनोहर नाथ ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने महिलाओं से संबंधित विभागीय योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। ज्योति काशव जेंडर स्पेशलिस्ट ने महिलाओं के अधिकार के प्रति विस्तृत जानकारी दी। सखी वन स्टॉप सेंटर से मधु ने महिलाओं के प्रति कानूनी अधिकार तथा वन स्टॉप सेंटर में महिलाओं को दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। स्वास्थ्य विभाग से डॉ. रोहित ने उपस्थित छात्र छात्राओं को PCPNDT एक्ट के बारे में तथा एनीमिया की रोकथाम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जिला समन्वय पोषण विकास शर्मा ने पोषण से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने गर्भधारण के दौरान क्या क्या खाना चाहिए उसकी जानकारी दी। कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समाज में व्यापक प्रचार प्रसार करने हेतु विशेष आग्रह किया। कार्यक्रम में 150 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।