रंग लाने लगे फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन प्रदान करने के “सुक्खू” सरकार के प्रयास

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 जाइका की 39.47 लाख की सिंचाई परियोजना से समखेतर गांव में आई हरियाली, बंजर खेतों में फिर लहराई फसलें
रोहित जसवाल।  जोगिंदर नगर :  ग्राम पंचायत बुल्हा भड़याड़ा के समखेतर गांव में वर्षों से सूखे पड़े बंजर खेतों में अब लहराती फसलें देखकर किसानों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है। यह बदलाव संभव हुआ है मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा फसल विविधिकरण उपायों को प्रोत्साहित करने से। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में “सुक्खू” सरकार के प्रयास अब धरातल पर रंग लाने लगे हैं।
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प्रदेश सरकार के सतत प्रयासों से जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाइका) की सहायता से हिमाचल के लिए फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना स्वीकृत की गई है। प्रदेश सहित मंडी जिला में जाइका के माध्यम से विभिन्न परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें फसलों को सिंचाई सुविधा प्रदान करने का भी प्रावधान है।
जाइका के माध्यम से समखेतर गांव के लिए 39.47 लाख रुपये की लागत से बहाव सिंचाई परियोजना निर्मित की गई है। इस परियोजना के तहत, भेड़े नाला से पानी को पाइपलाइन व पक्की नालियों और अन्य संरचनात्मक उपायों के जरिये खेतों तक पहुंचाया गया। इससे पहले जो जमीन बंजर हो चुकी थी, वह अब दोबारा कृषि योग्य बन गई है। स्थानीय किसानों के अनुसार, अब वे वर्ष में दो फसलें उगाने में सक्षम हो गए हैं। उनका कहना है कि खेती के लिए पहले जहां सिर्फ वर्षा पर निर्भरता थी, वहीं अब सिंचाई की सुविधा ने उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया है।
समखेतर गांव की शीला देवी ने बताया कि उनके खेत पिछले 10-12 साल से बंजर हो चुके थे, क्योंकि सिंचाई के साधन सीमित थे। अब इस परियोजना से खेतों में नमी बनी रहती है और लोग गेहूं, मक्की व सब्जियां भी उगा सकते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें परियोजना के तहत अदरक व हल्दी के बीज भी प्रदान किए गए हैं। जंगली जानवरों के डर से बंजर छूटी भूमि अब दोबारा उपजाऊ हो गई है। इस फसल के तैयार होने पर जाइका के माध्यम से ही इसे खरीदा जाना है। इससे न केवल किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी, बल्कि घर-द्वार पर ही बिक्री के लिए बाजार भी उपलब्ध हुआ है।
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ग्राम प्रधान भीम सिंह ने बताया कि इस परियोजना ने गांव की कृषि व्यवस्था को एक नई दिशा दी है। युवाओं में भी खेती को लेकर उत्साह बढ़ा है और प्रवास की प्रवृत्ति में कमी आई है।
इस परियोजना को सफल बनाने में खंड परियोजना प्रबंधन इकाई, सरकाघाट की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ग्रामीणों को समय-समय पर तकनीकी प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया, जिससे वे पानी का कुशल प्रबंधन कर सकें। खंड परियोजना प्रबंधक सरकाघाट अश्वनी कुमार ने बताया कि इस परियोजना से लगभग 12.80 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हुई है। इससे क्षेत्र के लगभग 70 किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस सिंचाई परियोजना को समयबद्ध पूरा किया गया है। इसके अलावा किसानों को अदरक व हल्दी के मुफ्त बीज प्रदान किए गए हैं।
समखेतर गांव की यह कहानी बताती है कि यदि योजनाएं सही तरीके से धरातल पर उतारी जाएं, तो सूखा और बंजरपन भी हरियाली में बदला जा सकता है। प्रदेश सरकार के सतत प्रोत्साहन से जाइका की यह सिंचाई परियोजना न सिर्फ तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि ग्रामीण समृद्धि और आत्मनिर्भरता की मिसाल भी बन गई है।
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