नई दिल्ली :स्वतंत्रता दिवस समारोह को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गए हैं। एक ओर जहां लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लालकिले पर आयोजित राष्ट्रीय ध्वजारोहण कार्यक्रम से नदारद रहे, वहीं कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित समारोह में 1984 सिख दंगों के आरोपी जगदीश टाइटलर की मौजूदगी ने विवाद खड़ा कर दिया।
इस मुद्दे पर भाजपा ने राहुल गांधी पर संवैधानिक परंपराओं की अवहेलना व कांग्रेस पार्टी को सिख-विरोधी मानसिकता को उजागर करने का आरोप लगाया है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि शायद इतिहास में पहली बार विपक्ष के नेता ने स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने संवैधानिक मर्यादा को तार-तार करना अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है। साथ ही, कांग्रेस कार्यालय में आयोजित समारोह में जगदीश टाइटलर की उपस्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की वास्तविक मानसिकता को सामने लाता है। वहीं इस पर भाजपा नेता राधिका खेड़ा ने भी राहुल गांधी पर तंज कसा कि उन्होंने लालकिले का आयोजन छोड़ा लेकिन सिख दंगों के आरोपी के साथ ध्वजारोहण किया।
भाजपा के निशाने पर कांग्रेस
भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि गांधी परिवार कभी भी 1984 सिख दंगों की जिम्मेदारी नहीं लेता। चुघ ने कहा कि राहुल गांधी की मौजूदगी में टाइटलर का सम्मानपूर्वक स्वागत कांग्रेस पार्टी की सिख विरोधी मानसिकता को दिखाता है। भाजपा का कहना है कि टाइटलर पर सिख नरसंहार का आरोप राजीव गांधी के शासनकाल से जुड़ा हुआ है, और इस तरह की उपस्थिति से देश को गलत संदेश देती है।
कांग्रेस का पलटवार और बढ़ा विवाद
वहीं कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पलटवार किया। पार्टी प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने कहा कि टाइटलर को अदालत ने दोषी नहीं ठहराया है। उन्होंने भाजपा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन लोगों ने बिल्किस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उनकी बच्ची की हत्या की, उन दोषियों को भाजपा सरकार ने चुनावी लाभ के लिए रिहा करवाया। शमा ने भाजपा नेताओं को चुप रहने की सलाह दी। भाजपा और कांग्रेस दोनों एक-दूसरे पर ऐतिहासिक घटनाओं का हवाला देकर निशाना साध रहे हैं। एक ओर कांग्रेस भाजपा को अपने काउंटर में बिल्किस बानो मामले में घेर रही है, तो दूसरी ओर भाजपा 1984 के दंगों को उठाकर कांग्रेस पर प्रहार कर रही है। ऐसे में यह विवाद न केवल स्वतंत्रता दिवस की गरिमा पर असर डाल रहा है बल्कि देश की राजनीति को भी एक बार फिर पुराने जख्मों की ओर ले जा रहा है।