कम वोटों के डर व महिलाओं के घरों से बाहर निकलने की झिझक महिलाओं के चुनावों में लक न आजमाने के मुख्य कारण
शिमला। राजनैतिक पार्टियों जीते या पुराने राजनेता चुनावों को महिलाओं के वोट तो बराबर चाहिए, लेकिन चुनावों के दौरान अपने पैर जमाए होने के कारण महिलाओं को कम वोट डलने के नाम पर महिलाओं को मैदानों में उतारने से परहेज करते नजर आ रहे हैं। प्रदेश में आम महिलाएं भी चुनाव लड़ रही हैं, महिला प्रत्याशियों को अधिक अधिमान नहीं दिया जाता। यही कारण है कि हिमाचल विधानसभा में आधी आबादी की संख्या आधी से भी नाममात्र ही रहती हैं, हालांकि एेसा नहीं है कि पहाड़ों में महिलाएं राजनीति में सक्रीय नहीं है। सिर्फ उनकी सक्रियता को राजनैतिक नेता जनता के सामने नहीं आने देते। दूसरी ओर आम लोग खासकर महिलाएं भी महिला उम्मीदवारों को कम वोट देती हैं। अंदाजा इसी बात से लगता है कि इसी तरह वर्ष 2012 में 34 उम्मीदवारों के खाते में 6.49 प्रतिशत वोट ही मिले, जबकि वर्ष 2017 में महिला उम्मीदवार कम होकर 19 महिला प्रत्याशी रह गए तथा उनके वोट प्रतिशत भी कम होकर 4.97 फीसदी वोट रह गए।
इस बार भी 24 महिला उम्मीदवार लड़ रही चुनाव :
प्रदेश के 68 विधानसभा क्षेत्रों में इस बार भाजपा-कांग्रेस सहित अन्य दलों व आजाद उम्मीदवार के तौर पर 24 महिला प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रही हैं। इससे पहले विधानसभा चुनाव 2017 में 19 महिलाओं ने व 2012 में 34 महिलाओं ने अपना भाग्य अजमाया था। जिसमें 2019 में 4 व 2012 में तीन महिला प्रत्याशी ही चुनाव जीत सकी।
2012 में 459 में से सिर्फ 34 महिला प्रत्याशी ही उतरी मैदान में :
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में 459 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था, जिसमें सिर्फ 34 महिलाओं को चनाव में उतारा गया था। जिसमें सिर्फ 3 महिला उम्मीदवार ही जीतकर विधानसभा पहुंची। जबकि वर्ष 2012 में आजाद उम्मीदवार के तौर पर 9, भाजपा से सात, कांग्रेस से चार, बीएसपी से तीन,
समाजवादी पार्टी, एआईटीसी, एलजेपी और एचएलपी से दो-दो महिला उम्मीदवारों तथा सीपीआईएम, एनसीपी, एचएसपी से 1-1 महिला प्रत्याशी ने चुनाव लड़ा था। जिसमें 22 महिलाओं की जमानत जब्त हुई थी। चुनाव परिणाम के बाद सिर्फ 3 महिला प्रत्याशी भाजपा की ओर से शाहपुर में सरवीण चौधरी और कांग्रेस टिकट पर डलहौजी से आशा कुमारी व ठियोग से विद्या स्टोक्स ही चुनाव जीतकर विधायक पहुंची थी।
पिछले चुनावों में कांग्रेस की एक व भाजपा की 3 महिला उम्मीदवार पहुंचीं थी विधानसभा : वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 19 महिलाओं को चनाव में उतारा गया था। जिसमें चार महिला उम्मीदवारों ने अपने हलकों पर जीत दर्ज कर विधानसभा में अपना पैर जमाया था। पूरे प्रदेश से सिर्फ 4 महिला उम्मीदवार ही विधानसभा पहुंची थी। इसमें नेशनल पार्टियों सहित क्षेत्रीय दलों और आजाद प्रत्याशी शामिल थी। जिसमें कांग्रेस सिर्फ एक आशा कुमारी, जबकि भाजपा टिकट पर 3 महिला उम्मीदवार शाहपुर से सरवीण चौधरी, इंदौरा से रीता देवी और भोरंज से कमलेश कुमारी ही विधानसभा पहुंच पाई थी। इसके अलावा भाजपा से छह, कांग्रेस से तीन, बहुजन समाज पार्टी से तीन, आजाद उम्मीदवार के तौर पर तीन, लोक गठबंधन पार्टी से दो, स्वाभिमान पार्टी व राष्ट्रीय आजाद मंच से एक-एक महिला उम्मीदवार ने चुनाव लड़ा। इनमें 11 महिलाओं की जमानत जब्त हुई।
2012 में 6.49 व 2017 में 4.97 फीसदी मिले वोट : विधानसभा चुनाव 2012 में 34 महिलाओं में से 3 ही महिलाएं विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रही। इस दौरान प्रदेश भर में कुल 33 लाख 87 हजार 390 मतदाताओं ने वोट डाले। इसमें सभी 34 महिला प्रत्याशियों को कुल 2 लाख 20 हजार 138 मत मिले। यह कुल मतदान का 6.49 फीसदी रहा। इसके अलावा वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 19 महिला उम्मीदवारों में से सिर्फ 4 ही महिला उम्मीदवार जीत पाई थी। इन चुनावों में 37 लाख 98 हजार 176 मतदाताओं ने वोट डाले। इसमें 19 महिला प्रत्याशियों को कुल 1 लाख 88 हजार 813 वोट मिले। यह कुल मतदान का केवल 4.97 फीसदी रहा।