परिवहन विभाग से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई
चंडीगढ़, 1 जनवरी : चंडीगढ़ से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी की अध्यक्षता में एडमिनिस्ट्रेटर एडवाइजरी काउंसिल (ट्रांसपोर्ट) की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में एसएसपी ट्रैफिक यू.टी. चंडीगढ़, संयुक्त सचिव-कम-निदेशक परिवहन, यू.टी. चंडीगढ़, चीफ इंजीनियर नगर निगम चंडीगढ़, चीफ इंजीनियर यू.टी चंडीगढ़, चीफ आर्किटेक्ट यू.टी चंडीगढ़, सेक्रेटरी स्टेट ट्रांसपोर्ट ऑथारिटी यू.टी. चंडीगढ़, सदस्य राधेश्याम गर्ग के अलावा, सी.आर.ई.एस.टी तथा एम.सी विभाग के प्रतिनिधि शामिल रहे।
बैठक के दौरान परिवहन विभाग से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। चेयरमैन को ऑटो रिक्शा रजिस्ट्रेशन के रेगुलेशन और सेफ्टी मुद्दों के संबंध में अवगत कराया गया कि पंजाब तथा हरियाणा में क्रमशः 5000 ऑटो-रिक्शा पंजीकृत किए गए हैं।
इस दौरान चेयरमैन ने शहर में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में विस्तृत जानकारी मुहैया करवाने को कहा। उन्होंने बताया कि अधिकांश ईवी चार्जिंग पॉइंटस या तो क्षतिग्रस्त हो गए हैं या काम नहीं कर रहे हैं। चेयरमैन ने आगे बताया कि एक टिकाऊ, फायदेमंद और सस्ते ईवी पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना परिवहन क्षेत्र में कोई भी हरित परिवर्तन संभव नहीं है।
इसी तरह शहर के बाहर के वाहनों पर कंजेशन टैक्स लगाने के संबंध में चेयरमैन का विचार था कि यह एक अस्पष्ट प्रस्ताव है और भारतीय परिवेश के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि सेंट्रल लंदन में कंजेशन टैक्स काम कर सकता है, लेकिन चंडीगढ़ सेंट्रल लंदन नहीं है।
बैठक में कमेटी को अवगत कराया गया कि पैसेंजर गुड टैक्स को निरस्त करने के संबंध में प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया था, क्योंकि मोटर व्हीकल टेक्स और जीएसटी लोगों पर दोहरी मार और दोहरे कराधान के समान हैं। इस संबंध में भारत सरकार से अभी भी उत्तर की प्रतीक्षा है। जैसे ही भारत सरकार से उत्तर प्राप्त होगा, उसके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। जिस पर उक्त एजेंडे पर आगे नहीं बढ़ने का निर्णय लिया गया।
वहीं पर, पेड पार्किंग, कमर्शियल एरिया, रेजिडेंशियल एरिया पार्किंग स्थलों के संबंध में सदस्य सचिव द्वारा अवगत कराया गया कि सेक्टर 35 के आवासीय क्षेत्र को पार्किंग समस्या के समाधान हेतु पार्किंग नीति लागू करने के लिए पायलट परियोजना के रूप में चुना गया है।
इसी तरह, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के चीफ आर्किटेक्ट ने सुझाव दिया कि भविष्य के पहलुओं के लिए मास्टर प्लान 2030 को संशोधित किया जा सकता है। इस दौरान चेयरमैन ने बिल्डिंग बाय लॉज की फिर से जांच करने के लिए कहा, ताकि स्टिल्ट पार्किंग की अनुमति देने के लिए उनमें उचित संशोधन किया जा सके। इस संबंध में एक रिपोर्ट 45 दिनों में पेश की जानी चाहिए।
जबकि सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के संबंध में चेयरमैन ने इच्छा व्यक्त की कि ग्रिड प्रणाली की तुरंत समीक्षा की जा सकती है, जिसे पहले ट्राई-सिटी में लागू किया गया था।
चंडीगढ़ में सार्वजनिक परिवहन में ग्रिड पैटर्न को दोबारा शुरू करने की व्यवहार्यता को देखने के लिए एक सर्वेक्षण करने का निर्देश भी दिया गया।
परिवहन क्षेत्र के अपग्रेडेशन और री-प्लानिंग के संबंध में चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने बताया कि परिवहन व्यापार की भविष्य की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परिवहन को फिर से नियोजित करने की आवश्यकता है। चेयरमैन ने व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एसएसपी (ट्रैफिक), सीई/यूटी चंडीगढ़ के चीफ इंजीनियर/एमसी के साथ साइट का दौरा करने को कहा।
इस दौरान चंडीगढ़ के लिए एमआरटीएस के संबंध में अवगत कराया गया कि यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट ऑथारिटी निर्णय लिया गया था कि अहमदाबाद, कोच्चि, जयपुर, नोएडा जैसी मेट्रो रेल की तुलना का अध्ययन किया जा सकता है। यह निर्देश दिया गया कि इस संबंध में रिपोर्ट पर आगे निर्णय लेने के लिए इस कमेटी को अवगत कराया जाए। चेयरपर्सन ने कहा कि जब आप किसी शहर या ट्राइसिटी जैसे क्षेत्रीय नमूने की योजना बनाते हैं, तो आपको तीस साल के परिप्रेक्ष्य में चीजों को देखने की जरूरत होती है। चंडीगढ़, मोहाली, न्यू चंडीगढ़ और पंचकूला के चार शहरों को शामिल करने और उन्हें पार करने वाली एमआरटीएस प्रणाली के बिना इस क्षेत्र की आर्थिक क्षमता का कभी भी लाभ नहीं उठाया जा सकेगा। उन्होंने निर्देश दिया कि यूएमटीए को यह बताया जाना चाहिए कि उन्हें भारत सरकार से चार शहरी मेट्रो परियोजना पर आधारित ग्रांट प्रोजेक्ट बनाना चाहिए।
प्लॉट नंबर 722 से 788 तक औद्योगिक क्षेत्र में यातायात की भीड़ के संबंध में सदस्य राधेश्याम गर्ग ने बताया कि इस क्षेत्र में पांच गलियां हैं और सड़क बंद होने के कारण सभी वाणिज्यिक वाहनों को इस क्षेत्र से निकलने के लिए रिवर्स मोड में चलना पड़ता है।
जिसे लेकर चेयरपर्सन ने निर्देश दिए कि इस समस्या को रेलवे विभाग के अधिकारियों के समक्ष उठाया जाए, ताकि उचित समाधान निकाला जा सके।