अजायब सिंह बोपाराय / एएम नाथ। शिमला : हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार दोपहर बारह वजे तक संकट में दिख रही थी। जिसके बाद मुख्यमत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भाजपा पर आक्रमक होते हुए भाजपा को उसी के अंदाज में जवाब देते हुए शाम तक पूरा खेल बदल दिया। गत दिनों से हल्के में ले रहे सीएम सुक्खू ने ऐसा खेल खेला कि बजी पलट गई और अब लग रहा है कि ना सुक्खू को संकट है ना सरकार को संकट दिखाई दे रहा है।
हिमाचल प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और इसकी वजह से कांग्रेस के दिग्गज नेता और अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए। अब जब 6 विधायक बागी हुए तो भाजपा को हिमाचल में सरकार बनाने की उम्मीद दिखने लगी थी। आज सुबह जो काम अधूरा लग रहा था उसे मंत्री रहे विक्रमादित्य सिंह ने पूरी कर दिया। जिन्होंने सुक्खू सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद तो लगभग तय हो गया कि सरकार गिर जाएगी और सरकार नहीं भी गिरेगी तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को तो इस्तीफा देना ही पड़ेगा। लेकिन फिर सीएम सुक्खू को भाजपा द्वारा खेला जाने वाला खेल भाजपा के ही विधायकों पर से कर दिया। जिसमें हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सहायता की और पैसा पलट गया।
जिक्रयोग यह है की मुख्यमंत्री सुक्खू ने 17 फरवरी को जो बजट पेश किया था, उसे 28 फरवरी को विधानसभा से पास करवाना था. इसके लिए कांग्रेस की ओर से व्हिप भी जारी किया गया था। लेकिन बजट के दौरान भी कांग्रेस के 6 बागी विधायक नहीं पहुंचे तो भाजपा की उम्मीदों को और बल मिल गया। 27 फरवरी को हुई राज्यसभा की वोटिंग के बाद भाजपा को साफ़ लग रहा था कि वो सरकार गिरा देगी। जिसके चलते भाजपा विधायकों ने 28 फरवरी को बजट पास करवाने के दौरान थोड़ा हंगामा कर दिया।
15 विधायकों को किया सस्पेंड: विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने फिर भाजपा की चाल को मात देते हुए लंच से पहले ही भाजपा के 15 विधायकों को सदन से सस्पेंड कर दिया. ठीक वैसे ही जैसे लोकसभा में हंगामे के दौरान ओम बिड़ला ने और राज्यसभा में हंगामे के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्षी सांसदों को सस्पेंड किया था तो विपक्ष के 15 विधायक कम हो गए. बचे-खुचे बीजेपी विधायकों ने सदन का ही बॉयकॉट कर दिया और फिर सुक्खू सरकार ने ध्वनिमत से अपना बजट पास करवा दिया और बजट पास होने के साथ ही सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। यानी कि अब विधानसभा का अगला सत्र तो कुछ महीनों के बाद ही होगा और जब तक सत्र नहीं होता है, कम से कम सरकार पर तो कोई खतरा नहीं है। क्योंकि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ और सिर्फ सदन में ही लाया जा सकता है और सदन तो अब स्थगित है। इस तरह अब सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है और मुख्यमंत्री भी अभी तक सुरक्षित ही दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने जो कहा उससे साफ़ हो गया कि न तो इस्तीफा दिया है और न ही वो इस्तीफा देने वाले है।
गेम ऐसी बदली कि अब कांग्रेस के उन 6 विधायकों के लिए संकट पैदा हो गया है, जिन्होंने बजट पास करवाने के दौरान भी व्हिप का उल्लंघन कर सदन में नहीं पहुंचे। अब कांग्रेस विधायक और हिमाचल प्रदेश सरकार में संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने इन सभी विधायकों को अयोग्य ठहराने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को अर्जी दे दी है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया हैं तो कांग्रेस के ही विधायक है तो फिर अगर आला कमान चाहेगा तो उन्हें फैसला करने में भी देर नहीं होगी। और यह सभी विधायक अयोग्य ठहरा दिए जा सकते है। विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे की, तो खुद मुख्यमंत्री सुक्खू कह रहे हैं कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं होगा। सीएम सुक्खू ने यह भी कह दिया कि मेरे छोटे भाई है इनकी नाराजगी मैं दूर कर लूंगा।
अगर कांग्रेस टूटती है तो…
हालांकि जिस तरह की चर्चाएं हैं, वो तो ये कह रहीं है कि विक्रमादित्य सिंह भाजपा में जा रहे हैं, और अगर वो भाजपा में जा रहे होंगे, तब तो सीएम सुक्खू बिल्कुल ही सुरक्षित हो जाएंगे। क्योंकि सुक्खू के खिलाफ सबसे मुखर विक्रमादित्य सिंह ही हैं और उनकी बात का वजन इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि वो पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और अभी कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे हैं। उनका भाजपा में जाने का मतलब कांग्रेस का टूटना है अगर कांग्रेस टूटती है तो फिर कुछ महीनों के लिए तो सुखविंदर सिंह सुक्खू की कुर्सी सुरक्षित है। हालांकि विक्रमादित्य सिंह ने अभी तक तो यही कहा के वह पार्टी में बने रहेंगे।