करीब 1900 वर्ष पहले ऐतिहासिक मंदिर माता नैना देवी जी की हुई थी स्थापना : पंडित नीलम गौतम मुख्य पुजारी 

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*मध्य प्रदेश के राजा वीर चंद को महामाई की ओर से स्वपन में मंदिर स्थापित करने का आदेश दिया था
*ज्योना मौड की कहानी दंत कथा :  पंडित नीलम गौतम मुख्य पुजारी
होशियारपुर/दलजीत अजनोहा :  हिमाचल प्रदेश के काफी ऊंचाई वाले स्थान पर स्थित प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर माता नैना देवी के इतिहास के वारे में बहा के मुख्य पुजारी पंडित नीलम गौतम जी वरिष्ठ पत्रकार दलजीत अजनोहा की ओर से मंदिर परिसर में विशेष बातचीत की जिस दौरान पंडित नीलम गौतम मुख्य पुजारी की ओर से बताया गया के उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में सेवा करता आ रहा है और बह स्वयं 1982 से से इस मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में सेवा करते आ रहे है उन्होंने बताया के इतिहास मुताबिक करीब 1900 वर्ष पूर्व माता नैना देवी जी ने मध्य प्रदेश के बिलासपुर चंदेरी के राजा वीर चंद को रात को उन्हें स्वपन में आकर आदेश दिया था के उनका मन्दिर बिलासपुर जो कभी कोट बहलूर की रियासत भी रही है वहां बनाए जिस पर राजा वीर चंद को ओर से मंदिर बनाया गया उन्होंने बताया के मंदिर के चारों ओर 12/12 कोस की दूरी पर भव्य द्वार बने हुए है यहां पर इतिहास मुताबिक विभिन् देवी देवते निवास करते है उन्होंने बताया के इतिहास के पन्नों पर अंकित कहानी मुताबिक महिषासुर नामक राक्षस की ओर से महामाई के साथ शादी का प्रस्ताव रखा तो महामाई ने उसे कहा के बह उनसे युद्ध करे अगर युद्ध मैं बह विजई हुआ तो बह शादी कर लेंगी जिस पर काफी समय युद्ध चलता रहा और अंत में महामाई की ओर से उसका वध कर दिया और उसकी दोनों आंखें निकाल कर पीछे की ओर फेंक दी और इतिहास मुताबिक यहां उसको पहले एक आंख गिरी उसे झोड़ा की बाउली दूसरी आंख उस से दुगनी दूरी पर गिरी उसे बंब की बाउली से जाना जाता है और आज भी महामाई की यहां पिंडी स्थापित है उसके स्नान के लिए एक ही जट परिवार है जो बहा से प्रातः जल लाता है और उसी से स्नान करवाया जाता है। कहा जाता है के जब महिषासुर की महामाई का अंत समय आया तो उसने महामाई को मां कहकर पुकारा और उनके चरणों में मांग की के मैया मुझे भी आपके साथ जाना जाए तो महामाई ने उसे आशीर्वाद दिया के जो संगते मंदिर में आएंगी वह उसका भी नाम लेंगी उन्होंने बताया के यह धरती महर्षि व्यास जी की भी तपोस्थली है और श्री गुरु गोबिंद सिंह की ओर से भी यही चंडी का पाठ किया था उन्होंने बताया के आज भी जब समय आता है सभी देवियां ज्योति के रूप में यहां आती है ओर वह आती हुई 7 बहनों ( देवियों) का दृश्य बहुत ही मनमोहक और आनंदमई होता है और पंडित नीलम गौतम मुख्य पुजारी मुताबिक उन्होंने यह दृश्य कई बार देखा है और संगतों को भी कई प्रत्यक्ष रूप में दिखाई दिया है उन्होंने बताया के जब यह संयोग बनता है तब इतिहासिक मंदिर ज्वाला जी मंदिर की जो दिव्य ज्योति है बिल्कुल मंद पड़ जाती है उन्होंने आगे बताया के जो महिषासुर के सेनापति थे आज भी उन्हीं के नाम पर गांव बसे हुए है जैसे गंगेवाल,सादेवाल, सूरियाल, मौकोंआल आदि अन्य भी है उन्होंने कहा के जियोना मौड की कथा दंत कथा है उन्होंने बताया संगते पूरा वर्ष महामाई का गुणगान करते हुए आती है और महामाई का आशीर्वाद प्राप्त करके अपनी झोलिया भर कर के जाती है उन्होंने बताया के महामाई के दरबार में जो भी भक्त श्रद्धा भाव से अपनी कोई मांग लेकर आया महामाई ने उसकी झोली हमेशा ही भर कर भेजा है संगतों की श्रद्धा मुताबिक अगर किसी भी भक्त को किसी भी तरह का नेत्र रोग होता है तो बह महामाई के चरणों में चांदी या अन्य धातु की आंखे बना कर महामाई के चरणों में अर्पित करता है तो उसका नेत्र रोग दूर हो जाता है
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