भाषा विभाग के बेशकीमती खज़ाने को डिजीटलाईज़ करके पंजाबियों के बौद्धिक विकास के लिए इस्तेमाल किया जाएगा-परगट सिंह
पटियाला, 1 नवंबर: पंजाब के उच्च शिक्षा और भाषा मंत्री स. परगट सिंह ने आज पंजाब दिवस के मौके पर यहाँ भाषा भवन में भाषा विभाग द्वारा पंजाबी माह -2021 के अंतर्गत पंजाबी मातृभाषा के प्रचार और प्रसार के लिए महीना भर चलने वाले समागमों का आग़ाज़ किया। इस मौके पर स. परगट सिंह ने ऐलान किया कि मुख्यमंत्री स. चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व अधीन भाषा विभाग पंजाब के पास पड़े बेशकीमती खज़ाने को डिजीटलाईज़ करके नवीनतम तकनीकों के द्वारा पंजाबियों के बौद्धिक विकास के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा खाली पड़े जि़ला भाषा अधिकारियों और अनुसंधान अधिकारियों के पद भरने के लिए अंतरविभागीय प्रक्रिया शुरू करने समेत भाषा विभाग को हर पक्ष से मज़बूत करके आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
उच्च शिक्षा और भाषा, स्कूल शिक्षा, खेल और एन.आर.आई. मामलों के मंत्री स. परगट सिंह ने पंजाबी मातृभाषा के प्रति युवाओं में घटती रुचि पर चिंता का ज़ाहिर करते हुए बताया कि उन्होंने पंजाब सिविल सर्विस के 1000 उम्मीदवारों का विवरण देखा है, जिसमें केवल 100 उम्मीदवारों ने ही पंजाबी विषय का चयन किया और केवल 10 उम्मीदवार ही पास हुए थे। पंजाबी सभ्याचार, साहित्य, बोली और पंजाबी किरदार की प्रफुल्लित और इसको स्कूल स्तर से मज़बूत करने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग, लेखक, मीडिया को मिलकर प्रयास करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि पंजाबी मातृभाषा और पंजाब किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सबका साझा है, इसलिए साझा प्रयास ही सफल होंगे।
स. परगट सिंह ने कहा कि वह हॉकी टीम के खिलाड़ी हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री से यह विभाग माँग कर लिया है और पंजाब की बौद्धिक संपत्ति के संरक्षण के लिए वह लेखकों, बुद्धिजीवियों के साथ एक टीम बनाकर भाषा विभाग को प्रफुल्लित करने के चुनौती भरपूर काम को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि राजनैतिक, ब्यूरोक्रेट और टैक्नोक्रैट मिलकर काम करेंगे, जिससे युवाओं को नई दिशा और सोच दी जाएगी और राज्य में उद्योग की माँग के मुताबिक मानवीय शक्ति और युवाओं को रोजग़ार मिलेगा। उन्होंने कहा कि पंजाबी माह को औपचारिक तौर पर नहीं बल्कि 1967 में बने पंजाबी भाषा एक्ट वाली भावना के साथ मनाया जाएगा।
स. परगट सिंह ने पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत पर आंतरिक और बाहरी हमलों पर भी चिंता प्रकट करते हुए कहा कि उनको उम्मीद है कि पंजाबी अपने नैतिक-मुल्यों पर पहरा देते हुए इनका भी मुकाबला डटकर करेंगे।
भाषा विभाग द्वारा आई हुईं शख़्िसयतों का स्वागत करते हुए उच्च शिक्षा और भाषा विभाग के सचिव श्री कृष्ण कुमार ने बताया कि भाषा विभाग के खज़ाने को संभालने के लिए पंजाब सरकार गंभीरता से काम कर रही है और जल्द ही सार्थक परिणाम सबके सामने होंगे। भाषा विभाग, पंजाब के डायरैक्टर करमजीत कौर ने धन्यवाद करते हुए विभाग की गतिविधियों और कारगुज़ारी समेत प्रकाशित पुस्तकों की जानकारी देते हुए बताया कि पूरे महीने के दौरान विभाग द्वारा पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों माझा, मालवा, दोआबा और पुआध में विभिन्न समारोह करवाए जाएंगे।
समारोह के मौके पर हलका घन्नौर के विधायक श्री मदन लाल जलालपुर, पंजाबी साहित्य रत्न डॉ. रतन सिंह जग्गी और पंजाब राज्य समाज कल्याण बोर्ड के चेयरपर्सन गुरशरन कौर रंधावा ने विशेष मेहमान के तौर पर शिरकत की और पंजाबी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. अरविन्द ने अध्यक्षता की। जबकि जगत गुरू नानक देव पंजाब राज्य ओपन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. करमजीत सिंह, डिप्टी कमिश्नर सन्दीप हंस और एस.एस.पी. हरचरण सिंह भुल्लर भी विशेष रूप से उपस्थित थे।
प्रसिद्ध चिंतक और शिरोमणि पंजाबी आलोचक डॉ. सुरजीत सिंह भट्टी ने मातृभाषा पंजाबी के प्रचार-प्रसार सम्बन्धी अपना कुंजीवत भाषण पेश करते हुए गुरू साहिबानों, श्री गुरु ग्रंथ साहिब और रबीन्द्रनाथ टैगोर के हवाले से पंजाबी बोली के बड़प्पन का जि़क्र किया। डॉ. भट्टी ने पंजाबी को ज्ञान, विज्ञान, दर्शन, सोशल साइंस्स और रोजग़ार की भाषा बनाने के लिए पंजाब की सभी यूनिवर्सिटियों के योगदान के साथ एक साझा प्रोजैक्ट आरंभ करने पर ज़ोर दिया।
समारोह के दौरान स. परगट सिंह ने अलग-अलग तरह की पुस्तकों के सर्वोत्तम साहित्यक पुस्तक पुरस्कार वर्ष-2017 के 9 पुरस्कार भी प्रदान किए। उन्होंने विभागीय पुस्तकों, डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह की गुरू नानक और निर्गुण धारा, जगजीवन मोहन वालिया की बाबा आला सिंह, डॉ. टी.आर. शर्मा की गुरू नानक कथा, भाई कान्ह सिंह नाभा रचित गुर शबद अलंकार, कुलविन्दर सिंह की सर्वे पुस्तक बहिर जच्छ समेत विभागीय रसाले पंजाबी दुनिया एवं पंजाब सौरव आदि भी जारी किए। विभाग के सहायक डायरैक्टर तेजिन्दर सिंह गिल ने मंच संचालन किया।
समारोह में प्रसिद्ध सूफ़ी गायक इर्शाद मोहम्मद ने अपना कलाम पेश किया। इस दौरान बड़ी संख्या में चिंतकों, पंजाबी लेखकों, मातृभाषा प्रेमियों और स्कूलों-कॉलेजों के अध्यापकों समेत विद्यार्थी भी शामिल हुए। पुस्तक प्रेमियों के लिए भाषा विभाग के आंगन में लगी पुस्तक प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही।
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Nov 01, 2021