एएम नाथ। धर्मशाला : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से एमकॉम में स्वर्ण पदक जीतने वाली दिव्यांग रेणु देवी गुरुवार को पदक लौटाने के लिए तपोवन स्थित मुख्यमंत्री के दरवाजे पर पहुंचीं। रेणु देवी येल, धर्मशाला की निवासी हैं और उन्होंने 2016 में एम.कॉम में टॉप किया था और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक जीता था।
स्वर्ण पदक विजेता रेणु को जब बेरोजगारी की समस्या परेशान करने लगी तो वह सीधे तपोवन जाकर मुख्यमंत्री से मिलीं और अपनी पीड़ा बताई। पिता मोहब्बत सिंह ने बताया कि उनकी बेटी ने गोल्ड मेडल के साथ एमकॉम किया है और विभिन्न विभागों के लिए परीक्षाएं व साक्षात्कार भी दिए हैं, लेकिन अभी तक उसे कोई नौकरी नहीं मिली है। उसकी उपलब्धियां उसे खुद पर गर्व करने के बजाय तनावपूर्ण माहौल पैदा कर रही हैं, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान हो गया है। इसके बाद मैंने उसे सांत्वना दी और मुख्यमंत्री से मिलवाया। मेरी दिव्यांग बेटी ने निर्णय लिया है कि अब वह अपना पदक और प्रमाण पत्र मुख्यमंत्री को देगी।
रेणु देवी ने बताया कि वह दिव्यांग हैं। वह लंबे समय से परीक्षा की तैयारी कर रही है और दिन-रात कड़ी मेहनत कर रही है। कई बार मैं परीक्षा के अंतिम चरण तक पहुंच गया हूं लेकिन अभी तक नौकरी नहीं पा सका हूं। उन्होंने कहा कि 2016 से सरकारें नौकरियां देने का वादा कर रही हैं, लेकिन आज तक लोगों को नौकरियों के लिए भटकना पड़ रहा है। रेणु ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि जब किसी विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए नौकरियां निकाली जाती हैं तो विकलांग बच्चों के लिए सीमित पद क्यों आरक्षित किए जाते हैं? कुछ ही उम्मीदवारों को नौकरी क्यों मिलती है? इसके अलावा और भी बच्चे हैं जो तैयारी कर रहे हैं, उन्हें भी नौकरी दी जानी चाहिए।
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