एएम नाथ ।इंदौरा : काठगढ़ पंचायत की महिला प्रधान व उसके पति को कारोबारी से स्टोन क्रशर की एनओसी देने के लिए 10 लाख के रिश्वत मामले में दोषी करार देते हुए दोनों को अलग-अगल धाराओं के तहत डेढ़-डेढ़ साल कैद व 25 हज़ार जुर्माना ठोका गया है।
इस मामले में महिला प्रधान मंजू वाला को दो विभिन्न धाराओं के तहत एक में एक साल व दूसरे में छह माह का साधारण कारावास व 10 हज़ार जुर्माने की सजा सुनाई गई है। इसमें महिला प्रधान को जुर्माना न अदा करने पर एक मामले में एक माह अतिरिक्त व दूसरे में दो माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। साथ ही प्रधान के दोषी पति धर्मपाल को तीन मामलों में छह-छह माह की सजा व पांच-पांच हज़ार कुल मिलाकर 10 हजार जुर्माना ठोंका गया है। उक्त तीनों सजाएं साथ-साथ चलेगी, साथ ही जुर्माना अदा न करने पर प्रति सजा एक-एक माह का अतिरिक्त कारावास ओर भुगतना होगा। जिला एवं सत्र न्यायालय कांगड़ा स्थित धर्मशाला के विशेष सत्र न्यायधीश राजीव बाली ने उक्त फैसला सुनाया है, जिसमें विजिलेंस टीम नॉर्थ जोन की ओर से उक्त आरोपियों को रंगें हाथों पांच लाख की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। इसके तहत आरोपी धर्म पाल पुत्र काका राम व मंजू पत्नी धर्म पाल दोनों निवासी वीपीओ काठगढ़ तहसील इंदौरा जिला कांगड़ा को दोषी करार दिया।
विजिलेंस एवं एंटी क्रप्शन ब्यूरो नोर्थ जोन धर्मशाला के जिला न्यायवादी देवेंद्र चौधरी ने बताया कि 18 अप्रैल 2013 को शिकायतकर्ता दविंदर सलारिया निवासी बियानपुर जिला गुरदासपुर (पंजाब) ने पुलिस अधीक्षक, राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो धर्मशाला को लिखित शिकायत की थी कि वह ग्राम पंचायत काठगढ़ के गांव टांडा में अपनी मां के स्वामित्व वाली भूमि पर स्टोन क्रशर लगाना चाहता है तथा इस उद्देश्य के लिए उसे संबंधित पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता है। इस संबंध में उन्होंने आरोपी/दोषी मंजू तत्कालीन ग्राम पंचायत काठगढ़ की प्रधान से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें एनओसी लेने के लिए अपने पति पाल से मिलने की सलाह दी। जब शिकायतकर्ता ने आरोपी/दोषी धर्म पाल से मुलाकात की तो उसने उक्त पंचायत की एनओसी जारी करने के लिए 10 लाख रुपए की मांग की तथा शिकायतकर्ता को एनओसी जारी होने से पहले पांच लाख रुपए तथा जारी होने के बाद शेष पांच लाख रुपए का भुगतान करने को कहा। इस शिकायत पर निरीक्षक जगदीश चंद के नेतृत्व में एक जाल दल का गठन किया गया, तथा आरोपी धर्म पाल के खिलाफ जाल बिछाया गया। 19 अप्रैल 2013 को आरोपी धर्म पाल को पुलिस स्टेशन एसवी और एसीबी धर्मशाला की सतर्कता टीम ने रंगे हाथों पकड़ा, जब उसने शिकायतकर्ता दविंदर से रिश्वत राशि स्वीकार की। उक्त मामले के तहत ही विशेष सत्र न्यायधीश की खंडपीठ की ओर से उक्त फैसला सुनाया गया है।
