अरुण दीवान। चंडीगढ़ : पंजाब पुलिस की इंस्पेक्टर अर्शप्रीत कौर ग्रेवाल ने डीएसपी रमनदीप सिंह पर यौन उत्पीड़नके आरोप लगाए हैं। एक दिन पहले अर्शप्रीत कौर ग्रेवाल को 5 लाख रुपए लेकर नशा तस्करों को छोड़ने के आरोप में सस्पेंड किया गया था। अर्शप्रीत ने डीएसपी रमनदीप और एसपी बाल कृष्ण सिंगला पर रंजिश रखने के गंभीर आरोप लगाए हैं। इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की। उन्होंने कहा कि वह इसकी शिकायत मोगा एसएसपी और डीजीपी से करेंगी। अर्शप्रीत ने कहा कि वह इस मामले को हाईकोर्ट, पंजाब महिला आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग तक लेकर जाएंगी। साथ ही उन्होंने मांग की है कि पंजाब सरकार उनके बयानों को मानें। दूसरी तरफ इस मामले में मोगा पुलिस जिला प्रशासन ने चुप्पी साधी हुई है।
अर्शप्रीत की पोस्ट : हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। मेरे खिलाफ झूठा और तुच्छ मामला दर्ज किया गया है। मैं आश्चर्यचकित हूं कि कैसे डीएसपी को बचाने के लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के प्रयास को झूठी एफआईआर में बदल दिया गया। इसकी योजना बनाई गई और साजिश रची गई। काश मैंने इसे समय रहते डीजीपी सर, एसएसपी सर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साझा किया होता। मैं शांत थी, अपने परिवार की प्रतिष्ठा का ख्याल रखते हुए और पिछले 10 वर्षों से पुलिस परिवार का हिस्सा होने के नाते, मैंने एसएसपी सर को यह बताने की कोशिश की, लेकिन उन्हें पहले ही एसपी-डी सर बाल कृष्ण सिंगला और DSP सर रमनदीप द्वारा बहका दिया गया था। मुझे कभी इस बात का अंदाजा नहीं था कि गलत काम करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ डीडीआर प्रविष्टि डालना और डीएसपी रमनदीप सिंह को ना कहना मुझे इस स्थिति में डाल देगा। दो मामले हैं जिन्हें मैं जनता और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साझा करना चाहती हूं, मुझे उम्मीद है कि एसएसपी सर मोगा और पंजाब सरकार इसे गंभीरता से लेगी और मैं माननीय उच्च न्यायालय, पंजाब महिला आयोग और भारतीय महिला आयोग से अपील करती हूं कि कृपया इस मामले में स्वत: संज्ञान लें और इसे मेरा बयान मानें।
अर्शदीप ने पोस्ट में लिखा- गांव डाला में एक कांग्रेसी व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी और यह बाली मर्डर केस के रूप में मशहूर था, जिसमें पहले 4 आरोपी थे और बाद में 8 से 9 आरोपी थे, जिन पर आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में मुझे तत्कालीन एसएसपी मोगा, एसपी-डी बाल कृष्ण सिंगला और अन्य अधिकारियों ने कार्यालय में बुलाया और 4 आरोपियों का डिस्चार्ज एप्लिकेशन देने के लिए कहा गया, हालांकि जब मैंने पूरे मामला का जिक्र करते हुए डीडीआर प्रविष्टि डाली तो कुछ दिनों बाद मुझे परेशान किया जाने लगा।
एसपी-डी बाल कृष्ण सिंगला ने बयान दर्ज करने के लिए मुझे कई बार अपने कार्यालय में बुलाया। और मुझे कहा- “तू याद रखेगी वी डीडीआर एंट्री किवे पाई दी है”। मुझे कभी नहीं पता था कि अपना व्यक्तिगत बदला लेने के लिए वह इस हद तक जाएंगे और एसएसपी सर को मेरे खिलाफ भड़काएंगे और मेरे खिलाफ यह झूठी FIR दर्ज करवाई जाएगी। दूसरा मामला पिछले रविवार का है जब हम एक धर्मकोट के पास कैफ़े में पहुंचे वहां पर संयोग से डीएसपी धर्मकोट रमनदीप सिंह और एसएचओ मिली। इस दौरान डीएसपी रमनदीप सिंह ने मुझसे ऑफिस आकर मिलने को कहा। जैसे ही मैं वहां पहुंची, कार्यालय बंद हो गया और ताला लगा दिया गया। थोड़ी देर बाद डीएसपी रमनदीप वहां पर पहुंचे और उन्होंने अनाप-शनाप बोलना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा- हमारे बीच बहुत कुछ समान है, आपके लुक और काम के तरीके ने मुझे आकर्षित किया है। इस दौरान उन्होंने मुझे छूने की कोशिश की और जब मैंने इसका विरोध किया तो वो मुझे सॉरी कहने लगे। मैंने उसी पल डीएसपी रमनदीप से कहा कि मैं एसएसपी साहब और जरूरत पड़ी तो डीजीपी सर से शिकायत करूंगी। अगले दिन मैं एसएसपी से मिलने के लिए गई लेकिन पहले से ही एसपी ने उन्हें मेरे खिलाफ भड़काया हुआ था। यही कारण रहा कि जैसे ही मैं शिकायत करने के लिए उनके पास पहुंची तो उन्होंने कहा- आपके खिलाफ शिकायतें आ रही हैं और मैं चेक करूंगा। फिर मुझे जाने के लिए कहा। लेकिन फिर भी मुझे कभी नहीं पता था कि डीएसपी को यौन उत्पीड़न के अपराधों से बचाने के लिए और एसपी-डी बाल कृष्ण सिंगला के खिलाफ डीडीआर प्रविष्टि डालने के सजा देने के लिए वो इस हद तक जाएंगे।
जानिए मामला : मोगा के डीएसपी रमनदीप सिंह की ओर से कोट इसे खां थाने में दर्ज कराई FIR के मुताबिक, कोट इसे खां थाने में तैनात एसएचओ अर्शप्रीत कौर ग्रेवाल ने 1 अक्टूबर को नाके पर एक नशा तस्कर को पकड़ा। उसका नाम अमरजीत सिंह था। वह कोट इसे खां में दातेवाला रोड का रहने वाला था।तलाशी के दौरान आरोपी से 2 किलो अफीम बरामद हुई। इस कार्रवाई में एसएचओ अर्शप्रीत कौर के साथ कोट इसे खां थाने के मुंशी गुरप्रीत सिंह और बालखंडी चौकी के मुंशी राजपाल सिंह भी शामिल थे। इन्होंने जब आरोपी से पूछताछ की तो पता चला कि उसके साथ नशे की तस्करी में उसका बेटा गुरप्रीत सिंह और भाई मनप्रीत सिंह भी शामिल थे। इसके बाद पुलिस ने अन्य दोनों आरोपियों की भी तलाश शुरू की और उन्हें पकड़े गए आरोपी की निशानदेही पर हिरासत में ले लिया। उनसे जब पूछताछ की तो 3 किलो और अफीम का खुलासा हुआ। पुलिसकर्मियों ने वह अफीम भी जब्त की, लेकिन इसकी कोई FIR दर्ज नहीं हुई।पुलिस ने केवल 2 किलो अफीम बरामद होने का ही मुकदमा दर्ज किया। इसी बीच किसी व्यक्ति के जरिए आरोपी तस्करों ने एसएचओ अर्शदीप कौर से संपर्क किया और आरोपियों को छोड़ने की एवज में पैसे ऑफर किए। एसएचओ ने ऑफर पर तोलमोल करते हुए 8 लाख रुपए की डिमांड की। आरोपियों ने 5 लाख रुपए इंस्पेक्टर को दे दिए, जिन्हें मुंशियों और एसएचओ ने आपस में बांट लिया। इसके बाद 2 आरोपियों गुरप्रीत और मनप्रीत को छोड़ दिया। डीएसपी रमनदीप के अनुसार, किसी मुखबिर ने इस मामले की जानकारी उन्हें दी। इसके बाद डीएसपी ने मामले की जांच की और तीनों पुलिस वालों पर FIR दर्ज कराई। डीएसपी ने तीनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। अब मामले की जांच की जा रही है। साथ ही जो 2 आरोपी गुरप्रीत और मनप्रीत फरार हैं, उन्हें पकड़ने के लिए छापे मारे जा रहे हैं। साथ ही आरोपी पुलिसवालों के पिछले रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं।
पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने कहा- हमारी पॉलिसी के हिसाब से मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी ने कहा- मैं अभी 24 जिलों का एसएसपी नहीं हूं। मगर केस में किसी प्रकार से किसी भी अधिकारी के साथ गलत नहीं होगा, ये मेरी जिम्मेदारी है। डीजीपी गौरव यादव ने कहा- जांच में जो भी अधिकारी आरोपी पाया जाएगा, उस पर कड़ा एक्शन लिया जाएगा। कोई भी आरोपी व्यक्ति कार्रवाई से वंचित नहीं रहेगा।