चंडीगढ़ : कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए उन पर हुए हमले की जांच किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंपने की मांग की है, क्योंकि उन्हें पंजाब पुलिस की जांच पर संदेह है और इसमें पक्षपात व देरी का आरोप लगाया है। बाठ वर्तमान में नई दिल्ली स्थित आर्मी हेडक्वार्टर्स में तैनात हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 13 मार्च की रात पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों और उनके हथियारबंद अधीनस्थों ने बिना किसी उकसावे के उन पर और उनके बेटे पर हमला किया।
गंभीर अपराध के बावजूद स्थानीय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने दावा किया कि वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार फोन किया गया लेकिन उनकी गुहार को अनसुना कर दिया गया। उनकी शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज करने के बजाय किसी तीसरे व्यक्ति की शिकायत पर ‘अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ लड़ाई’ का फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया गया। जब कर्नल बाठ के परिवार ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और पंजाब के राज्यपाल से संपर्क किया, तो आठ दिन बाद उचित एफआईआर दर्ज की गई। शुक्रवार को दायर हलफनामे में सरकार ने कोर्ट को बताया कि सभी आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। निष्पक्ष और तेज जांच के लिए एक उच्च स्तरीय विशेष जांच दल गठित किया गया है। कोर्ट ने इस पर असंतोष जताते हुए पूछा कि आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। सरकार ने कहा कि देरी का कारण किसानों का विरोध प्रदर्शन था। कोर्ट ने अब सरकार से पूछा है कि एफआईआर दर्ज करने में देरी के दौरान जिले में और कितने मामले दर्ज किए गए।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सिर्फ चार पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने और चार इंस्पेक्टरों का पटियाला जिले से बाहर तबादला करने से क्या न्याय मिल जाएगा? इसके अलावा, देरी से एफआईआर दर्ज होने को लेकर कोर्ट ने कहा कि इससे जांच एजेंसी पर भरोसे की कमी झलकती है। कोर्ट ने कहा कि आगे क्या होगा यह अज्ञात है, क्योंकि यह भी संभव है कि कुछ किया ही न जाए। जब राज्य सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांगा तो कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि अदालत देरी को बढ़ावा नहीं दे सकती।