ऊना : कोविड-19 के संबंध में लोगों में जागरुक करने के दृष्टिगत स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना वायरस के संदर्भ में कुछ तथ्य जारी किए गए हैं। जिनके अनुसार कोरोना वायरस सबसे अधिक इंसान के फेफड़ों को नुक्सान पहुंचाता है और सही समय व उचित उपचार न होने पर यह मौत का पर्याय भी बन सकता है। इस संबंध में जानकारी देते हुए उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने कहा कि सामान्यतः स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़े ऑक्सीजन के कारण एक्स-रे में काले दिखाई देते हैं जबकि कोरोना प्रभावित व्यक्ति के फेफड़ों में ऑक्सीजन की बहुत ज्यादा कमी हो जाने के कारण सफेद दिखाई देते हैं। फेफड़ों के अन्दर हुआ यह नुकसान व्यक्ति में जीवन भर रह सकता है।
उन्होंने बताया कि अन्य रोगों की तुलना में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फेफड़ों में फैल जाता है और फेफड़ों को एकदम प्रभावित करना शुरू कर देता है, जिससे संक्रमित को सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है व शरीर को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। डीसी ने बताया कि जो लोग मधुमेह (शुगर), कैंसर, अस्थमा जैसे गंभीर से ग्रसित होते हैं उनमें यह संक्रमण बड़ी तेजी से असर करता है तथा संक्रमित व्यक्ति की कुछ ही दिनों में मृत्यु हो जाती है।
जिलाधीश ऊना राघव शर्मा ने कहा कि गत दिनों जिला में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से यह तथ्य सामने आये हैं कि कोरोना से बहुत सारी मौतें संक्रमितों द्वारा लक्षण छुपाने और समय पर उपचार न कराने के कारण हुई हैं। कोरोना से फेफड़ों की स्थिति खराब होने से पहले मरीज के ऑक्सीजन स्तर पर ध्यान रखना जरूरी होता है, जिससे कि उसे समय पर पर्याप्त ऑक्सीजन दी जा सके।
प्रायः यह देखने में आया है कि आरंभ में व्यक्ति कोरोना के लक्षणों सर्दी-जुकाम आदि को सामान्य बीमारी समझकर बेपरवाह रहता है और अपने शरीर में घटते ऑक्सीजन के स्तर पर निगरानी नहीं रखता है और समय पर कोरोना जांच नहीं करवाने तक अपने परिजनों को भी इस जानलेवा बीमारी से संक्रमित कर देते हैं।
उपायुक्त ने कहा कि पिछले एक महीने में जिला ऊना में करोना संक्रमण से 23 मौतें हुई हैं, जिनके विश्लेषण पर यह तथ्य भी सामने आया है कि अधिकतर लोगों ने अपनी बीमारी को छुपाया और तबियत अधिक बिगड़ने पर अस्पताल पहुंचे। तब तक बहुत देरी हो चुकी थी तथा फेफड़ों के अत्याधिक खराब होने के कारण इन लोगों को बचाना संभव नहीं हो सका।
उन्होंने सभी लोगों से अपील की है कि कोरोना संक्रमण के लक्षणों जैसे बुखार, जुकाम, थकान, गला खराब, बदन दर्द, दस्त, उल्टी इत्यादि को गंभीरता से लें और सतर्कता बरतते हुए तुरंत सरकारी अस्पताल में अपना कोरोना टैस्ट करवाएं और संक्रमण को अपने फेफड़ों तक पहुंचने से रोकने के लिए जल्दी सही उपचार करवाएं। डीसी ने कहा कि इस संबंध में लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।