चंडीगढ़ : किसान आंदोलन को लेकर मंगलवार को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि मौलिक अधिकारों में संतुलन होना चाहिए। प्रदर्शन करने वाले किसानों और आम लोगों दोनों के ही अपने-अपने अधिकार हैं। इस विवाद को सरकार सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाए, बल प्रयोग आखिरी विकल्प हो।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि किसानों ने ट्रैक्टर को मॉडिफाई किए हैं। जहां तक बातचीत का मुद्दा है तो सरकार ने 2022 में भी कमेटी बनाई थी, लेकिन किसानों ने इसका बायकॉट कर दिया था। जहां तक MSP का सवाल है तो केंद्र बातचीत के लिए तैयार है। हम चंडीगढ़ में भी बैठक कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन के लिए जगह सुनिश्चित हो। सभी पक्षकार मिलकर आपस में बात करें। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 15 फरवरी को तय की है। सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का जिम्मा है। जिसके बाद पंजाब सरकार ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा है।
सड़क पर लोगों की सुरक्षा के लिए राज्य को भी कदम उठाना होगा : हाई कोर्ट ने कहा, यह कहना बहुत आसान है कि उनके पास अधिकार हैं, लेकिन सड़कों पर लोगों की सुरक्षा के लिए राज्य को भी कदम उठाना होगा। उनके भी अधिकार हैं। वहीं, हरियाणा सरकार ने कहा कि किसानों का दिल्ली से 5 किलोमीटर पहले इकट्ठा होने का आह्वान है। उन्होंने वहां हथियारों के साथ ट्रैक्टरों में तकनीकी बदलाव किया है, इसलिए हम कानून और व्यवस्था बनाए रखना चाहते हैं।
हरियाणा सरकार ने आगे कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन किया जा सकता है, लेकिन यहां वे जनता को असुविधा में डाल रहे हैं। पिछली रिपोर्ट पर नजर डालें तो समझ आ जाएगा. किसान किसी निर्धारित स्थान पर विरोध करने के लिए दिल्ली सरकार से अनुमति ले सकते थे।
पंजाब में कोई सीलिंग नहीं : पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि मुद्दा यह है कि वे विरोध प्रदर्शन के लिए आगे बढ़ रहे हैं, पंजाब में इकट्ठा होने के लिए नहीं। पंजाब में कोई सीलिंग नहीं है. यदि वे शांतिपूर्ण विरोध के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं। हम इसकी अनुमति दे रहे हैं और भीड़ नियंत्रण आदि के लिए उचित व्यवस्था की गई है। मान सरकार ने कहा कि किसानों की मांगें वास्तविक हैं. उन्हें देखने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन पंजाब को चिंता नहीं है, क्योंकि वे पंजाब में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। दरअसल, याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 21, 19 के मद्देनजर रोड में बाधा को रोकने का आवेदन किया।दूसरी जनहित याचिका में याचिकाकर्ताओं का दावा है कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया है। हाई कोर्ट ने याचिका में दिल्ली सरकार को भी पक्षकार बनाया जाए, वो भी अपना पक्ष रखें।