गढ़शंकर। गढ़शंकर के गांव रामपुर के जंगल की सीमा पर सटे हिमाचन प्रदेश के गांव गोंदपुर के जंगल में लगे क्रैशरों का फायदा पहुंचाने के लिए आखिर पंजाब सरकार के तीन विभागों के अधिकारी नियमों की उड़ रही धज्जियों को अनदेखा कर रहे है। जिला प्रशासन की भी इस मामले पर चुपी कई तरह के स्वाल खड़े कर रही। जिस भी अधिकारी से बात करों वह अपने स्तर पर ना तो जांच करवाने को तैयार है और ना ही कोई कार्रवाई करने को तैयार है। एक बात कह रहे है कि हम जांच करेगें या कार्रवाई कर दी गई है। लेकिन जमीनी स्त्तर धड़ल्ले से ओवरलोड टिप्पर नियमों को आखें दिखाते हुए गुजर रहे है।
रामपुर गांव के जंगल के साथ हिमाचल प्रदेश की सीमा पर सटे गोंदपुर के जंगर में क्रैशर लगे है। इन क्रैशरों से बजरी, डसट व अन्य समान लेकर आने वाले टिप्परों के लिए क्रैशर चालकों दुारा जंगल से रास्ता निकलवाने के लिए लगातार कोशिशे की जाती रही है। क्योंकि इस जंगल से रास्ता मिलने से क्रैशरों को काम बढऩा तो तय है ही ऊपर से वहां से गढ़शंकर जाने के लिए सडक़ के रास्ते की दूरी कम होने के साथ ही माईनिंग विभाग दुारा लगाए नाके व काटें भी नहीं पड़ते। इस के चलते एक क्रैशर संचालक दुारा की कोशिशों के चलते रामपुर की पंचायत ने क्रैशर संचालक को रास्ते देने के लिए एक प्रस्ताव पास कर दिया। जिसमें हिमाचल की सीमा से लेकर 1875 मीटर लंबा और पांच मीटर चौड़ा रास्ता देना तय हूया। जिसके बाद उकत क्रैशर संचालक ने पंचायत विभाग, माल विभाग व अन्य संबधित विभागों के कागजातों के अधार पर पर्यावरण, वन व जलवायू परिवर्तन मंत्रालय से उकत रास्ते की मंजूरी ले ली। अव स्वाल यहां उठता है कि पंजाब सरकार के अंर्तगत आते विभिन्न विभागों ने आखिर इस रास्ते की मंजूरी देने के लिए कैसे कागजात तैयार किए और किन नियमों को ताक पर रख कर इन कागजातों को तैयार किया गया ताकि इस रास्ते की मंजूरी मिल सके और 1875 मीटर से आगे दस किलोमीटर रास्ते का क्रैशरों से निकलने वाले टिप्पर कैसे उपयोग कर पाए। इस पूरे मामले की जांच उच्चस्तरीय होनी चाहिए ताकि साफ हो सके कि कि यह रास्ता नियमों मुतावित कितना सही कितना गल्त है। इसके ईलावा पंचायत दुारा प्रस्ताव पास कर रास्ता तैतीस साल के लिए लीज पर देने की जांच जरूरी है। सूत्रों के मुताविक पंचायत ने सिर्फ क्रैशर को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रख कर रास्ता देने का प्रस्ताव पास किया था।
जंगल हो रहा तवाह, नियमों की उड़ रही धज्जियां, अधिकारी मूक दर्शक : हिमाचल प्रदेश की सीमा से लेकर गढ़शंकर नंगल सडक़ तक शाहपुर करीव बारह किलोमीटर से ज्यादा रास्ता जंगल से गुजरता है। मंजूर 1875 मीटर रास्ते से आगे जंगल में से दस किलोमीटर रास्ते का उपयोग टिप्परों के लिए किया जा रहा है वह पूर्णता वन क्षेत्र है। जो मंजूरी दी गई है उसमें लिखा है कि आगे डिफैंस रोड़ का उपयोग किया जाएगा। जबकि हकीकत में वहां कोई डिफैंस रोड़ नाम की कोई वस्तू ही नहीं है। इसके ईलावा कंडी नहर के साथ पटरी का भी कुछ हिस्सा रास्ते के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। नियमों के मुताविक जंगल से निकलने वाले रास्ते का कर्मशियल उपयोग नहीं किया जा सकता और ना ही कंडी नहर के रास्ते का कर्मशियल उपयोग किया जा सकता। इस सभी के बावजूद शरेआम ओवरलोडिड टिप्पर जंगल में बने रास्ते व कंडी नहर के साथ लगती पटड़ी का उपयोग करते है और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उकत रास्ते पर जेसीवी जमकर चला कर उसे प्लेन किया गया और मिट्टी व डस्ट डालकर टिप्परों को आने जाने के लिए रास्ता बना डाला। लेकिन आज तक किसी भी विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की गई।
वनसंपति व वन्य जीवों को हो रहा नुकसान : जंगल से निकल रहे रास्ते के कारण तेज गति से गुजरते ओवरलोडिड टिप्परों से उड़ती धूल के वन संपति को भारी नुकसान हो रहा। पेड़ बुरी तरह खराब हो रहे है तो वन्य जीवों की सेहत केे लिए प्रदूशित वातावरण व साऊड प्रदूषण नुकसान पहुंचा रहा है। जंगल में राष्ट्रीय पक्षी मोर भी काफी संख्यां में है तो उसे नुकसान होना तय है।
रामपुर के सरपंच हरमेश सिंह: क्रैशर को हमने तैतींस साल के लिए लीज पर दिया है। जिसमे सभी नियमों की पालना की गेई है। रास्ते का पंचायत को हर वर्ष 7 लाख 80 हजार क्रैशर संचालक को देंने है। लेकिन उकत रास्ता देने के लिए निमयों के तहत बोली करवाई गई या नहीं इस पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया और कहा काफी समय हो गया है अव याद तो नहीं लेकिन बोली कारवाई गई थी।
डीएफओ सतिंद्र सिंह : हमने तो स्पष्ट लिख कर भेजा था कि रास्ता नहीं दिया जा सकता। रास्ते की मंजरी कैसे मिल गई हमें भी पता नहीं। रास्ते के आगे के जंगल में से अगर कोई रास्ता नियमों के खिलाफ रास्ता बनाया गया तो हम जांच करवा कार्रवाई करेगें।
कंडी नहर के सुपिरिटैंडेंट इंजीनियर विजय कुमार: कंडी नहर का रास्ता टिप्परों के लिए बंद करने के लिए एकसीयन को कहा है और उसने रास्ता बुर्जिया लगाकर बंद कर दिया है। लेकिन अव तक ना तो किसी जेसीवी चला कर व वहां मिट्टी डालकर रास्ता बनाने वाले के खिलाफ कारवाई हुई और ना ही टिप्परों का गुजरना बंद हुया।
बीडीपीओ मनजिंदर कौर : मेरे से पहले का मामला है अगर पंचायत ने बोली और अन्य प्रक्रिया रास्ता देने में पूरी नहीं की हुई तो शिकायत मिलते ही जांच करवाई जाएगी।
फोटो: 136 जंगल में जेसीवी चलाकर और मिट्टी व डस्ट डाल कर बनाया रास्ता जिस पर से गुजरते है टिप्पर