लॉरेंस बिश्नोई ने एक बार फिर मौन व्रत रख लिया है, जो उसके जन्मदिन (12 फरवरी) के अगले दिन यानी 13 फरवरी को टूटेगा. जेल में बंद लॉरेंस जब-जब मौन व्रत पर गया, तब-तब उसके गैंग ने बड़े अपराधों को अंजाम दिया. ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।
भारत के अपराध जगत में लॉरेंस बिश्नोई का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. यह कुख्यात गैंगस्टर साबरमती जेल में बंद होने के बावजूद संगठित अपराधों को अंजाम देने के लिए जाना जाता है. लेकिन अब उसके ‘मौत व्रत’ का रहस्य सुर्ख़ियों में है… एक ऐसा मौन व्रत, जिसके दौरान उसके गैंग के अपराधों में उछाल देखा जाता है.
सूत्रों के मुताबिक, साबरमती जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई ने एक बार फिर मौन व्रत रख लिया है, जो उसके जन्मदिन (12 फरवरी) के अगले दिन यानी 13 फरवरी को टूटेगा. इस मौन व्रत के दौरान वह न किसी ऑपरेशन में शामिल होता है, न फोन का इस्तेमाल करता है. जेल में सिर्फ इशारों से बातचीत करता है, यहां तक कि बुनियादी सुविधाओं के लिए भी।
क्या मौन व्रत के दौरान होते हैं बड़े अपराध?
जांच एजेंसियों के अनुसार, जब-जब लॉरेंस मौन व्रत पर गया, तब-तब उसके गैंग ने बड़े अपराधों को अंजाम दिया. बाबा सिद्दीकी हत्याकांड के दौरान भी वह जेल में मौन व्रत पर था. नवरात्र के दौरान भी लॉरेंस मौन व्रत रखता है और इसी दौरान उसके गैंग के अपराध बढ़ जाते हैं।
जेल में मोबाइल और गैंग ऑपरेशन
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नादिर शाह हत्याकांड की चार्जशीट में खुलासा किया था कि लॉरेंस ने साबरमती जेल के अंदर से तिहाड़ जेल में बंद हाशिम बाबा से मोबाइल फोन पर बात की थी. लॉरेंस बिश्नोई का जन्मदिन 12 फरवरी को आता है. इस दिन सोशल मीडिया पर उसके फॉलोअर्स की पोस्ट्स की बाढ़ आ जाती है, जिससे उसके नेटवर्क की सक्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है.
सरकारी एजेंसियां लॉरेंस बिश्नोई के मौन व्रत और उसके गैंग के अपराधों के बीच गहरे संबंधों की जांच कर रही हैं. सवाल यह उठता है कि क्या मौन व्रत के दौरान गैंग को संकेत दिए जाते हैं? क्या यह अपराधों को छुपाने की रणनीति है? क्या जेल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां इसे रोकने के लिए कोई कदम उठाएंगी? लॉरेंस बिश्नोई का ‘मौत व्रत’ अभी भी एक पहेली बना हुआ है, लेकिन जांच एजेंसियों की नजर इस पर टिकी हुई है।