एएम नाथ। शिमला : हिमाचल प्रदेश में एक चीफ इंजीनियर की रहस्यमयी मौत से राजनीति से लेकर प्रशासनिक अमले में काफी चिंता की लकीरे हैं। विवाद इस कदर बढ़ गया कि हिमाचल सरकार ने राज्य के डीजीपी अतुल वर्मा, शिमला के एसपी संजीव गांधी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (गृह) ओंकार शर्मा को तत्काल प्रभाव से छुट्टी पर भेज दिया है।
सरकार ने एक दो सदस्ययी जांच समिति भी बनाई है जो 31 मई को रिटायर होने जा रहे डीजीपी अतुल वर्मा के व्यवहार और कार्यवाही की जांच करेगी। दरअसल, शिमला के एसपी संजीव गांधी ने राज्य के डीजीपी – अतुल वर्मा पर संगीन आरोप लगाए थे। एसपी का कहना था कि उन्होंने पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत मामले में निष्पक्ष जांच की। पर डीजीपी ने जो हलफनामा अदालत में गुमराह करने वाला हलफनामा दायर किया। एसपी का आरोप था कि डीजीपी ने जांच को अपनी पसंद के अधिकारियों को सौंपकर जांच की दिशा बदलने की कोशिश की. इसके अलावा गांधी ने डीजीपी कार्यालत के कर्मचारी को नशे की तस्करी में संलिप्त बताया. वहीं, डीजीपी के आरोप थे कि विमल नेगी की पेन ड्राइव को फॉर्मेट किया गया। इस तरह की तकरार के बीच हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (HPPCL) के मुख्य अभियंता विमल नेगी की रहस्यमयी मौत की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई करेगी. दिल्ली में FIR दर्ज कर CBI ने इस मामले की आधिकारिक जांच शुरू कर दी है। हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश पर केस न्यू शिमला पुलिस से ट्रांसफर किया गया है. ये अपने आप में काफी दिलचस्प घटनाक्रम है।
CBI ने ये कार्रवाई विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी की शिकायत पर की है, जिनका आरोप है कि उनके पति को विभागीय स्तर पर लगातार मानसिक प्रताड़ना दी जा रही थी, जिससे तंग आकर उन्होंने आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाया।
विमल नेगी की हत्या का मामला है क्या :
विमल नेगी 10 मार्च 2025 को शिमला से रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हो गए थे. इसके आठ दिन बाद, 18 मार्च को उनका शव बिलासपुर जिले की गोबिंद सागर झील से बरामद हुआ. अगले दिन 19 मार्च को एम्स बिलासपुर में पोस्टमार्टम किया गया और उसी दिन परिजनों ने शिमला स्थित पावर कॉरपोरेशन मुख्यालय के बाहर शव के साथ प्रदर्शन कर उच्चाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए. 19 मार्च को ही न्यू शिमला थाने में एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें निलंबित निदेशक देशराज, तत्कालीन प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा और निदेशक शिवम प्रताप सिंह को आरोपी बनाया गया. आरोप थे कि इन अधिकारियों ने विमल नेगी पर गलत कामों का दबाव डाला और प्रताड़ित किया।
इस मामले मेंCBI ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108 और धारा 3(5) के तहत केस दर्ज किया है. धारा 108 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने पर अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है. धारा 3(5) में यदि एक ही आपराधिक उद्देश्य से कई व्यक्ति मिलकर अपराध करें, तो सभी को समान रूप से दोषी माना जाता है. कानूनी जानकारों के अनुसार, अगर CBI की जांच में प्रताड़ना और दबाव की ठोस पुष्टि होती है, तो संबंधित अधिकारियों पर गंभीर धाराओं में चार्जशीट दाखिल की जा सकती है. इस मामले में हिमाचल प्रदेश पुलिस पर भी मामले को दबाने के आरोप लगे थे. विमल नेगी की मौत आत्महत्या थी या इसके पीछे कोई गहरी साजिश? क्या उन्हें सिस्टम ने मार डाला? अब ये सीबीआई ही को तय करना है।
इस मामले में क्या-क्या हुआ
10 मार्च: विमल नेगी लापता
11 मार्च: गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज
18 मार्च: गोबिंद सागर झील से शव बरामद
19 मार्च: पोस्टमार्टम व विरोध प्रदर्शन
19 मार्च: निदेशक देशराज सस्पेंड, एमडी हरिकेश मीणा हटाए गए
20 मार्च: अंतिम संस्कार, नई SIT गठित
26 मार्च: हाईकोर्ट ने देशराज की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की
4 अप्रैल: देशराज को सुप्रीम कोर्ट से राहत
7 अप्रैल: हरिकेश मीणा को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत
21 अप्रैल: किरण नेगी ने CBI जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई
23 मई: हाईकोर्ट ने CBI को जांच सौंपने का आदेश दिया
26 मई: CBI ने दिल्ली में FIR दर्ज कर जांच शुरू की