गढ़शंकर, 13 नवम्बर: डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) पंजाब ने राज्य सरकार पर शिक्षकों के मुद्दों को हल न करने, लोगों के खिलाफ नई शिक्षा नीति लागू करने, शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल रखने का आरोप लगाते 16 नवंबर की चब्बेवाल में आयोजित होने वाली राज्य स्तरीय रोष रैली की तैयारियों के लिए लामबंदी की गई। इस मौके डी.टी.एफ संगठन के जिला अध्यक्ष सुखदेव डानसीवाल एवं प्रदेश संयुक्त सचिव मुकेश कुमार ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि शिक्षा विभाग ने इस सत्र की शुरुआत से ही स्कूली शिक्षकों को अनावश्यक प्रोजेक्टों में उलझा दिया है और अब राष्ट्रीय परख परीक्षा (सीपीई) में माध्यम से छात्रों एवं शिक्षकों को निर्धारित पाठ्यक्रम से भटकाकर अप्रत्यक्ष रूप से नई शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा है।
इस नीति के तहत कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बड़े स्कूलों में विलय करने की नीति को आगे बढ़ाया जा रहा है। शिक्षा क्रांति का दावा करने वाली पंजाब सरकार के स्कूलों में हजारों पद खाली पड़े हैं, जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उन्होंने दोष लगाया कि 5994 और 2364 भर्ती में चयनित बेरोजगार लेकर संघर्ष कर रहे हैं, वहीं राज्य सरकार केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति लागू कर स्कूलों को बंद करने की राह पर है। दो साल से दिवाली तोहफे का इंतजार कर रहे संगरूर में डटे हुए कंप्यूटर टीचरों की सुनवाई नहीं हो रही है। शिक्षा विभाग पंजाब द्वारा की जाने वाली पदोन्नतियों को कुछ स्कूलों तक ही सीमित करके अध्यापकों को पदोन्नति छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। डीटीएफ नेताओं ने कहा कि शिक्षक मुद्दों पर पंजाब के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की चुप्पी साबित करती है कि उन्हें पंजाब के शिक्षकों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है और पंजाब के आम लोगों के बच्चों की शिक्षा के लिए कोई नीति नहीं है।
पंजाब के शिक्षक और अन्य कर्मचारी जहां पुरानी पेंशन योजना की बहाली और वेतन आयोग के बकाए की मांग कर रहे हैं, वहीं केंद्रीय कर्मचारियों की तुलना में 15 फीसदी कम महंगाई भत्ता पाकर वे खुद को केंद्रीय कर्मचारियों के पीछे महसूस कर रहे हैं। डीटीएफ पंजाब के नेता सतपाल कलेर और हंस राज गढशंकर ने शिक्षकों को पंजाब सरकार द्वारा शिक्षकों, बच्चों की शिक्षा और कर्मचारियों के वित्तीय मुद्दों की अनदेखी के खिलाफ 16 नवम्बर को चब्बेवाल में आयोजित राज्य स्तरीय रोष रैली में बढ़चढ़ कर भाग लेने के लिए लामबन्द किया।