मोगा, 23 दिसंबर : 20 महिलाओं का एक समूह नैनो-यूरिया के छिड़काव में लगने वाले समय को कम करने के लिए पंजाब के खेतों में ड्रोन पायलट की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। इफको के माध्यम से केंद्र प्रायोजित योजना के हिस्से के रूप में लाभार्थियों को लगभग 15 लाख रुपए की लागत वाले ड्रोन मुफ्त प्रदान किए जा रहे हैं।
उनमें से 3 महिलाएं जिला मोगा से संबंध रखती हैं। जोकि हरियाणा के मानेसर में प्रधानमंत्री महिला किसान ड्रोन केंद्र में इफको द्वारा ड्रोन के उपयोग में महारत हासिल करने के बाद मोगा लौट आई हैं। इन महिलाओं ने आज मोगा के डिप्टी कमिश्नर कुलवंत सिंह से मुलाकात की और उन्हें किसानों को आधुनिक तकनीकों का अधिकतम लाभ दिलाने के लिए पूरे दिल से काम करने का आश्वासन दिया।
डीसी कुलवंत सिंह ने बताया कि आत्मनिर्भर बनने के लिए महिलाएं अपने क्षेत्र के किसानों के खेतों में ड्रोन से स्प्रे करेंगी और प्रति एकड़ 200 से 250 रुपये तक वसूलेंगी। डीसी ने उन्हें भविष्य की जिम्मेदारियों के लिए शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उपस्थित मोगा के रत्तियां गांव की जसविंदर कौर धालीवाल ने बताया कि उन्हें उनके पति और बेटे ने इस परियोजना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उनका बेटा इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा कर रहा है और वह इस विचार से उत्साहित था। जसविंदर ने बताया कि इससे पहले वो एक किसान-उत्पादक संगठन (एफपीओ) से जुड़ी थ। खेती के अलावा, उनके पति एक आटा चक्की चलाते हैं। एक अन्य लाभार्थी, जिले के गांव घोलिया खुर्द की सर्बजीत कौर गिल ने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त करके उसे अच्छा लगा। प्रारंभ में, कुछ कठिन था लेकिन जैसे-जैसे प्रशिक्षण आगे बढ़ता गया, यह दिलचस्प होता गया और अब वे ड्रोन पायलट बनकर बहुत उत्साहित महसूस कर रही हैं। अन्त मैं उन्होंने कहा कि ‘हम सभी स्मार्टफोन और अन्य उपकरणों का उपयोग करते हैं। ड्रोन का उपयोग सीखना मुश्किल नहीं था’। उन्होंने कहा कि ड्रोन खेतों में उर्वरक और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए शारीरिक श्रम को कम करने में मदद करेंगे। किसानों को छिड़काव के लिए अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है और इसमें लगभग पूरा दिन लग जाता है। लेकिन ड्रोन सात मिनट में एक एकड़ की दूरी तय कर सकता है।
गांव कोकरी हेरा की हरजीत कौर ने कहा कि उनके पति 5 एकड़ जमीन के मालिक हैं और उन्होंने उन्हें इस परियोजना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि इसका टैंक 10 लीटर का है और इसमें यूरिया और पानी की बर्बादी कम होती है। वह और उनका परिवार नई तरह की तकनीक और नए कृषि उपकरणों का उपयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अब तक मैं सिर्फ एक घरेलू महिला थी, लेकिन अब एफपीसी के एक हिस्से के तौर पर मैं नई चीजें सीखने की कोशिश कर रही हूं।
आपको यहां बता दें कि महिला लाभार्थियों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए, इफको ने ग्रांट थॉर्नटन भारत से संपर्क किया था, जो पहले से ही लुधियाना, मोगा, बरनाला और रूपनगर जिलों में 27,000 से अधिक महिलाओं के साथ काम कर रहा है।