*नशा मुक्त और सुसंस्कारित समाज के निर्माण में दें योगदान…संस्कारयुक्त शिक्षा से ही संभव है आदर्श समाज का निर्माण : न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर*

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नारी शक्ति है सामाजिक बदलाव की धुरी : डॉ. मुक्ता ठाकुर
एएम नाथ।/ रोहित जसवाल।  ऊना, 7 दिसंबर. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने सभी नागरिकों से नशा मुक्त और सुसंस्कारित समाज के निर्माण में योगदान का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संस्कारयुक्त और जागरूक समाज का निर्माण प्रत्येक नागरिक के आत्म-संकल्प और व्यक्तिगत आचरण से ही संभव है।
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न्यायमूर्ति श्री ठाकुर ने सभी से अनुरोध किया कि वे नशा उन्मूलन और पर्यावरण संरक्षण को व्यक्तिगत जिम्मेदारी के रूप में अपनाएं और समाज को सही दिशा देने में सक्रिय योगदान दें।
वे रविवार को लता मंगेशकर कला केंद्र, ऊना में आयोजित विशाल विधिक साक्षरता शिविर में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। यह शिविर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ऊना के सहयोग से आयोजित किया गया था।
May be an image of textशिविर का मुख्य फोकस दो विषयों, नशा मुक्त समाज-भारत का संकल्प तथा पर्यावरण संरक्षण-भूमंडल रक्षण पर केंद्रित रहा।
*संस्कारयुक्त शिक्षा ही समाज का भविष्य तैयार करती है*
श्री ठाकुर ने कहा कि समाज की समस्याओं का मूल समाधान सही मूल्यों और संस्कारों में निहित है। उन्होंने कहा कि संस्कारयुक्त शिक्षा से समाज में ‘राम’ जैसे आदर्श जन्म लेते हैं, जबकि संस्कारहीन शिक्षा रावणों को जन्म देती है। हमें यह तय करना होगा कि हम अपने समाज में कौन-से गुणों का विकास चाहते हैं।
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*राष्ट्र के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है नशा*
विवेक सिंह ठाकुर ने नशे को भारत की युवा शक्ति के लिए सबसे बड़ा विनाशकारी कारक बताया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा कि किसी भी राष्ट्र को दुर्बल करने का सबसे आसान तरीका उसकी युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त में धकेल देना है। यदि युवा दिशाहीन हो जाएं, तो समाज और राष्ट्र, दोनों की कमजोर हो जाते हैं।
*अमर बलिदानियों से प्रेरणा लें युवा*
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में युवा शक्ति ने राष्ट्र के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। आज के युवाओं को उन महान विभूतियों के जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। कितने महापुरुषों ने राष्ट्र निर्माण में जीवन लगाया है। आज के युवा कभी अवसाद या छोटी-सी परेशानी में नशे का सहारा न लें। उन्होंने याद दिलाया कि स्वतंत्रता सेनानियों ने कितनी कठिन परिस्थितियों और यातनाओं के बावजूद राष्ट्र निर्माण का रास्ता नहीं छोड़ा।
*पर्यावरण क्षरण मानव जाति के लिए गंभीर खतरा*
उन्होंने चेताया कि पर्यावरण की हानि केवल एक मुद्दा नहीं, बल्कि समूची मानव जाति के अस्तित्व से जुड़ा संकट है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी जीवनशैली और व्यवहार को प्रकृति-हितैषी बनाना होगा। केवल उपदेशों से नहीं, बल्कि अपने आचरण में बदलाव लाकर ही पर्यावरण संरक्षण संभव है।
*अपने शास्त्रों को जीवन शिक्षा की तरह पढ़ें*
न्यायमूर्ति श्री ठाकुर ने कहा कि हमारे शास्त्र केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि उनमें जीवन को सही दिशा देने वाली अमूल्य शिक्षाएं हैं। युवा उन्हें उसी दृष्टि से पढ़ें। उन्होंने कहा कि सृष्टि हमें सब कुछ देती है, हमें भी समाज और प्रकृति को कुछ लौटाने की भावना विकसित करनी चाहिए।
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*मन पर संयम से ही चरित्र और समाज निर्माण*
उन्होंने कहा कि मनुष्य का मन उसका मित्र भी है और शत्रु भी। यदि मन के अधीन हो जाएं तो वह शत्रु बनकर बुरी आदतों की ओर ले जाता है, परंतु यदि मन को अपने अधीन कर लें तो वही मन श्रेष्ठ गुणों और समाज की भलाई की दिशा में प्रेरित करता है।
न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने सभी से आग्रह किया कि वे नशा उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण, संवेदनशीलता, संस्कार और जिम्मेदार नागरिकता को अपने जीवन का संकल्प बनाएं।
*नारी शक्ति है सामाजिक बदलाव की धुरी : डॉ. मुक्ता ठाकुर*
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारीं प्रख्यात शिक्षाविद एवं समाजसेवी डॉ. मुक्ता ठाकुर ने कहा कि सशक्त समाज का निर्माण केवल शिक्षा, संस्कृति और संस्कार के समन्वय से ही संभव है। उन्होंने भगवद्गीता, वेद और पुराणों के नीति वाक्यों और कथाओं को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए बताया कि ये जीवन के मूल सिद्धांत और आचरण के आदर्श प्रदान करते हैं। उन्होंने युवाओं और नागरिकों से आग्रह किया कि वे शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखें, बल्कि संस्कारयुक्त शिक्षा को अपनाकर समाज में नैतिकता, जिम्मेदारी और सकारात्मक बदलाव लाएं।
डॉ. मुक्ता ने नारी शक्ति को सामाजिक बदलाव की धुरी बताते हुए कहा कि नारी, विशेषकर मां के रूप में, जीवन में मूल्य, संस्कार और सकारात्मक आदर्शों का बीजारोपण करती है। उन्होंने रेखांकित किया कि यदि नारी जागरूक और सशक्त हो, तो समाज अपने आप सुधार और विकास की दिशा में अग्रसर होता है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि अपने जीवन में संस्कार, संस्कृति और सकारात्मक विचारों को अपनाएं और नशा मुक्त, संवेदनशील और समृद्ध समाज के निर्माण में सक्रिय योगदान दें।
*जन-जागरूकता को प्रयासरत है प्राधिकरण : रंजीत सिंह*
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव रंजीत सिंह ने अपने संबोधन में नशा निवारण और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे जन-जागरूकता अभियान का उल्लेख किया। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि इन प्रयासों में सक्रिय भागीदारी निभाएं और अपने व्यवहार में बदलाव लाकर समाज को सही दिशा दें।
उन्होंने चेताया कि यदि हम अनियंत्रित गतिविधियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते रहेंगे तो आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ पहाड़ियों का वातावरण सुनिश्चित नहीं कर पाएंगे। साथ ही, नशे की चुनौती से निपटने के लिए समाज को सक्रिय होकर आगे आना होगा।
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*समाज को लेनी होगी सुधार की जिम्मेदारी : नरेश कुमार*
जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऊना नरेश कुमार ने नशा निवारण और पर्यावरण संरक्षण को सामाजिक जिम्मेदारी से जोड़ते हुए कहा कि नशा व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से नष्ट कर देता है। उन्होंने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए केवल कानून पर निर्भर रहने के बजाय समाज को स्वयं आगे आना होगा। उन्होंने जल, जंगल और जमीन को हमारे अस्तित्व का मूल आधार बताते हुए कहा कि प्लास्टिक, प्रदूषण, जंगलों की कटाई और अनियंत्रित मानव गतिविधियां समय की चुनौती हैं। छोटे-छोटे कदम लेते, मिलकर हमें सुधार की बढ़ना है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव अनीता शर्मा ने मुख्य अतिथि सहित कार्यक्रम में पधारे सभी विशिष्ट अतिथियों, प्रतिभागियों और उपस्थित जनसमूह का आभार व्यक्त किया।
*गीत-संगीत और लघु नाटिकाओं से संदेश*
कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों, संस्थाओं और नाट्य दलों के प्रतिभागियों ने भाषण, गीत-संगीत और लघु नाटिकाओं के माध्यम से नशा निवारण तथा पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। स्कॉलर्स यूनिफाइड स्कूल ऊना की छात्रा अनिका जोशी ने पर्यावरण संरक्षण तथा प्रिशा ठाकुर ने नशा निवारण पर प्रभावी भाषण प्रस्तुत किए। प्रथम आरक्षण वाहिनी बनगढ़ के नाट्य दल ने एंटी-चिट्टा अभियान पर नाटिका प्रस्तुत की, जबकि प्रेम आश्रम के बच्चों ने पेड़ों के संरक्षण का संदेश दिया। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कुठारकलां के छात्र वंश ने नशा निवारण-भारत का संकल्प विषय पर मधुर गीत प्रस्तुत किया।
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*विभागीय प्रदर्शनी में योजनाओं की जानकारी*
इस दौरान कला केंद्र परिसर में विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। न्यायाधिपति विवेक सिंह ठाकुर ने सभी प्रदर्शनों का अवलोकन किया और वहां प्रदान की जा रही सेवाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की।
*कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित*
कार्यक्रम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश कुमार, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव रंजीत सिंह, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऊना कांता वर्मा, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऊना राजेंद्र धीमान, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव अनीता शर्मा, अन्य न्यायिक अधिकारी, हिमाचल सरकार में सचिव रितेश चौहान, उपायुक्त जतिन लाल, पुलिस अधीक्षक अमित यादव, बार एसोसिएशन ऊना के अध्यक्ष रोहित जोशी, अधिवक्तागण, विभिन्न विभागों के अधिकारी, आंगनबाड़ी एवं आशा कार्यकर्ता, बड़ी संख्या में छात्र, युवा और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
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