चंडीगढ़ : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं, इसी बीच सियासी मेल-झोल भी शुरू हो गया हैl आम चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है इसी बीच पंजाब की राजनीति से बड़ी खबर सामने आई है। शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि अकाली दल संयुक्त एक विलय हो गया है l शिरोमणि अकाली दल संयुक्त के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींडसा के आवाज पर यह विलय हुआ हैl ढींडसा ने अपनी पार्टी को अकाली दल में मर्ज कर दिया है. बता दें कि अकाली दल संयुक्त में बीजेपी की भी हिस्सेदारी हैl
बता दें कि सुखदेव सिंह ढींडसा पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं l सुखबीर बादल से विवाद के कारण ढींडसा ने अकाली दल से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बना ली थी और बीजेपी के साथ एलायंस कर लिया थाl अब शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि अकाली दल संयुक्त के साथ आने के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पंजाब में सियासी समीकरण भी बदल सकते हैं l माना जा रहा है कि अकाली दल और भाजपा के दरमियान फिर से गठबंधन हो सकता है और सुखदेव सिंह ढींडसा इस गठबंधन के सूत्रधार बन सकते हैं v
2017 में नहीं छोड़ा था पद : 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद, सुखदेव सिंह ढींडसा और अन्य अकाली नेताओं ने शिरोमणि अकाली दल (यूनाइटेड) का गठन किया था l इससे पहले, ढींडसा और अन्य नेताओं ने 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद सुखबीर बादल से पद छोड़ने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. प्रकाश सिंह बादल ने भी ढींडसा को मनाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बन पाई l
विधानसभा चुनाव में मिली थीं 3 सीटें : रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, जगमीत बराड़, रणजीत सिंह तलवंडी और जस्टिस निर्मल सिंह जैसी कई महत्वपूर्ण हस्तियां यूनाइटेड अकाली दल में शामिल हुई थीl 2022 के विधानसभा चुनाव में वोट बंटने के कारण अकाली दल को सिर्फ 3 सीटें मिलीं और अन्य पार्टियों को फायदा हुआ थाl वहीं, जानकारों का मानना है कि अगर दोनों पार्टियां एक हो गई तो इससे पंजाब की राजनीति बदल सकती हैl उनका यह भी मानना है कि एकता के बाद अकाली दल और बीजेपी के बीच गठबंधन हो सकता है और सुखदेव सिंह ढींढसा इस गठबंधन को बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैंl