चंडीगढ़ : पराली जलाने को लेकर पिछले वर्षों से पंजाब अक्सर सुर्खियों में रहा है, लेकिन इस बार तस्वीर कुछ अलग नजर आ रही है। अक्टूबर 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश पराली जलाने के मामलों में पंजाब को काफी पीछे छोड़ चुका है।
शुक्रवार को रिपोर्ट की गई 102 पराली जलाने की घटनाओं में उत्तर प्रदेश के अकेले 452 मामले दर्ज किए गए हैं, जो पंजाब के 208 मामलों से दोगुने से भी अधिक हैं।
पंजाब के हालात: कम मामले, फिर भी चिंता बनी हुई
पंजाब में इस बार पराली जलाने के मामले पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम हैं। 2023 में इस समय तक 1,389 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि इस साल यह संख्या मात्र 200 के आसपास है। हालांकि, राज्य के 23 जिलों में से 19 में पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं। तरनतारन जिला इस सीज़न में सबसे अधिक 65 मामले रिपोर्ट किए गए, जबकि अमृतसर में कुल 77 मामले सामने आए हैं। अन्य जिलों में भी पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुईं, लेकिन संख्या कम है।
उत्तर प्रदेश: बढ़ती घटनाओं ने बढ़ाई चिंता
उत्तर प्रदेश में इस साल पराली जलाने के मामले में 38% की वृद्धि हुई है। इस साल अक्टूबर तक 452 मामले सामने आए हैं, जो राज्य की पर्यावरणीय स्थिति के लिए खतरे की घंटी है। राज्य सरकार ने इस पर सख्त नियम लागू किए हैं, जिनमें जुर्माना और कड़ी निगरानी शामिल है, लेकिन इसका असर फिलहाल नजर नहीं आ रहा।
अन्य राज्यों की स्थिति
मध्य प्रदेश में 187, राजस्थान में 111, हरियाणा में 30 और दिल्ली में तीन मामले दर्ज किए गए हैं। मध्य प्रदेश में अप्रैल से ही पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसके जवाब में प्रशासन ने किसानों पर जुर्माना लगाना शुरू कर दिया है।
