बदलते परिवेश व घटते संस्कारों के बीच मां शब्द विश्वसनीयता खो रहा
एएम नाथ। चम्बा : मां तो मां होती है, उसका आंचल अपने जिगर के टुकड़ों के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता, बच्चे अपने मां के आंचल के नीचे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। बच्चे ही उसका संसार होते हैं, हर विपदा से अपने जिगर के टुकड़ों को बचाती है, इसलिए तो मां को भगवान से भी ऊपर का दर्जा मिला है। मगर बदलते परिवेश व घटते संस्कारों के बीच मां शब्द भी कहीं न कहीं अपनी विश्वसनीयता खो रहा है। इस दुनिया में कुछ बच्चों के दुःखों का कोई अन्त नहीं होता। यह दुखद कहानी हिमाचल प्रदेश के जिला चम्बा की सलूणी तहसील की ग्राम पंचायत बझोतरा के गाँव मटवाड़ की है।
पिता की मृत्यु 2021 में हो गई और फिर माँ चार बच्चों को बेसहारा छोड़ कर किसी दूसरे संग भाग गई। सारी जिम्मेदारी बड़ी बेटी पर आन पड़ी। उसने दसवीं के बाद अपनी पढ़ाई छोड़कर अपने भाई-बहनों को संभालने, पोषण करने तथा पढ़ाने का निश्चय किया। एक भाई 15 साल की उम्र में बोझा ढोने का काम करने के लिए चेन्नई चला गया, ताकि कुछ पैसों का प्रबंध हो सके।
कच्चा मकान जिसकी छत भी मिट्टी की बनी है जिससे बरसात में पानी टपकता है। मकान क्या एक बड़ा सा हॉल है जिसकी दीवारें पत्थर से चुनवाई हुई तथा मिट्टी की लिपाई की हुई। फर्श भी कच्चा मिट्टी का बना हुआ। इसी हॉल में बिना दीवारों के एक तरफ़ पशु बंधे हुए, एक तरफ किचन और साथ में ही सोने के लिए चारपाइयां लगी हुई हैं।
इतना ही नहीं बैंक में 95 हज़ार का कर्ज भी उसे बिरासत में मिला। यानि कि दुखों का कोई अंत नहीं। पर फिर भी इस बहादुर बेटी निशा ने हिम्मत नहीं हारी। उसने अपनी पढ़ाई छोड़कर अपने भाई-बहनों की पढ़ाई जारी रखने का निश्चय किया। पशुओं को भी नहीं बेचा और न ही सड़क पर छोड़ा। उन्हें भी सही तरीके से संभाल रही है। निशा की यह कहानी आज के बच्चों के लिए प्रेरणा है। उन्हें पता चलना चाहिए कि अगर माँ-बाप न हों तो बच्चों का हाल कैसा होता है।
उपायुक्त चम्बा मुकेश रेप्सवाल का कहना है कि बच्चों की माता द्वारा लिखित में यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि वह बच्चों का पालन-पोषण करने में असमर्थ है, प्रशासन ने मामले को पूरी संवेदनशीलता के साथ लिया है। मासूम बच्चों को अब सरकार की सभी आवश्यक सुविधाओं और कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि उनकी शिक्षा, सुरक्षा और भविष्य सुनिश्चित किया जा सके। प्रशासन का उद्देश्य है कि इन बच्चों को किसी भी तरह की कमी या असुरक्षा का सामना न करना पड़े और वे सम्मान के साथ जीवन जी सकें।
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अब ये बच्चे बेसहारा नहीं, सरकार इनके साथ : सुक्खू
मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने भी बेसहारा बच्चों से बात कर उन्हें हरसंभव मदद को भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि बच्चों को सुख आश्रय समेत अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। अब ये बच्चे बेसहारा नहीं हैं, सरकार इनके साथ है।
