पैंशन वाली नौकरी की गारंटी वाले कच्ची नौकरी वालों को भी हटा रही संवेदनहीन सरकार – नौकरी देने वाली नहीं छीनने वाली है सुखू सरकार : जयराम ठाकुर

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कांग्रेस की झूठी गारंटियां पूरे देश में कांग्रेस के गले पड़ी हैं,  सरकार दिव्यांग लोगों के साथ भी तानाशाही और बर्बरता से पेश आ रही है
एएम नाथ। मंडी :  पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मंडी में कांग्रेस सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरते हुए नौकरी देने के बजाए छीनने वाली सरकार का नाम दिया है। उन्होंने कहा कि पेंशन वाली पक्की और 58 साल नौकरी की गारंटी देने वाले अब कच्ची नौकरी वालों को भी घर बैठा रहे हैं। कॉस्ट कटिंग के नाम पर आज बिजली बोर्ड के 80 से ज्यादा ड्राइवरों की सेवाएं सरकार ने समाप्त कर दी। पिछले दिनों बिजली बोर्ड के इंजीनियरिंग वर्ग के 51 पदों को डिनोटिफाई कर दिया गया है। जिसका मतलब हुआ कि वे सारे पद खत्म हो गए हैं। चार दिन पहले नादौन में जल शक्ति विभाग के सबसे ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी को बाहर कर दिया। लोगों को नौकरियां से निकालना, कर्मचारियों का वेतन रोकना आउटसोर्स के कर्मचारियों को कई-कई महीने वेतन न देना सुक्खू सरकार की दिनचर्या का हिस्सा हो गया है।
मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और सरकार के सारे मंत्री हर दिन सिर्फ बड़ी-बड़ी हांकते हैं जबकि फैसले इतने छोटे दिल के साथ ले रहे हैं कि किसी घर में चूल्हा जले या न जले इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। जो कर्मचारी सालों से सेवाएं दे रहे हैं। जो अपने जीवन का बड़ा हिस्सा इस सेवा में खपा चुके हैं। ऐसे निष्ठावान कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी जा रही है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि वह लोग अब जाएं तो कहां जाएं। उनके परिवार का अब ऐसे हाल में क्या होगा। ये सोचने वाली बात है लेकिन सरकार इतनी संवेदनहीन हो चुकी है कि इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
उन्होंने कहा कि 2005 से बिजली के बिल का 50% सीवरेज टैक्स के रूप में वसूला जाता था जिसे हमारी सरकार ने घटाकर 30% कर दिया था। 6 अगस्त 2020 को जारी की गई अधिसूचना को सरकार के लोग जाकर देख और पढ़ सकते हैं। मुख्यमंत्री अपने किए गए सारे गलत कामों को जस्टिफाई करने के लिए पूर्व सरकार पर दोषारोपण  करने से बाज आएं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता में आते ही सरकार ने व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया था लेकिन आज जो हाल है वह व्यवस्था पतन का है।
उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर नाकाम है और सरकार के खिलाफ आलोचना करने पर उन्हें पुलिस जांच शुरू कर डराया जा रहा है। यह कृत्य लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। हम भी जब सरकार में थे हमारे खिलाफ भी मीडिया लिखता था लेकिन हमने हमेशा उसे सकारात्मक रूप से लिया और जहां कमी दिखी वहां सुधार किया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हर प्रकार से हिमाचल प्रदेश की मदद कर रही है। बजट के तहत निर्धारित प्रावधानों में लगातार पैसे दे रही है। एडवांस टैक्स शेयर देने के बाद ही हिमाचल प्रदेश की सरकार इस महीने वेतन देने की स्थिति में आई है। संघीय ढांचे की बात करने वाले मुख्यमंत्री बताएं कि वह कौन से पैसे की बात कर रहे हैं जो केंद्र सरकार नहीं दे रही है। हिमाचल प्रदेश केंद्र सरकार के प्राथमिकता में पहले भी था और आज भी है। इसलिए मुख्यमंत्री नैतिकता के आधार पर केंद्र सरकार का आभार भी कभी किया करें।
आज प्रदेश में निवेश के खिलाफ किस तरीके का माहौल है वह किसी से छुपा नहीं है। ऐसा लग रहा है कि प्रदेश सरकार निजी क्षेत्र में निवेश के सख्त खिलाफ है। ऐसा माहौल बना हुआ है कि जो भी उद्योग हिमाचल पहले से चल रहे हैं वो भी छोड़कर जा रहे हैं। हिमाचल के लिए हर लिहाज से ये बहुत चिंताजनक बात है। सरकार को उद्योगों को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण और प्रभावित कदम उठाने होंगे। धर्मशाला से लौटते हुए मंडी पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री ने दरंग के विधायक और मंडी नगर निगम मेयर के साथ सर्किट हाउस में चर्चा की और फिर सराज रवाना हुए।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला में दिव्यांग छात्रों के साथ पुलिस की बर्बरता की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलने की मांग को लेकर सचिवालय जाने पर जिस तरह से प्रदेश के दिव्यांगों के साथ बर्बरता की गई है उसे यह साफ होता है कि सरकार हर स्तर पर मानवीय संवेदना से दूर हो गई है और हर मामले में संवेदनहीनता से निपट रही है। दिव्यांग छात्रों के साथ यह पहली बार नहीं हुआ है। इसके पहले भी दो बार दिव्यांग छात्रों को सचिवालय जाने पर रोका गया उन्हें सड़कों पर घसीटा गया। उन्हें मारा पीटा गया। क्या प्रदेश का मुख्यमंत्री आम आदमी की पहुंच से इतना दूर हो सकता है की उससे मिलने की कोशिश करने पर ही दिव्यांगजनों को भी लाठियां खानी पड़े और बर्बरता झेलनी पड़े। चुनाव के समय वोट लेने के लिए दिव्यांगों के साथ कांग्रेस पार्टी द्वारा बड़े-बड़े वादे किए गए और सत्ता में आने के बाद उन्हें भुला दिया गया। जब दिव्यांगजन अपना हक मांगने के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात करना चाहते हैं तो उन पर लाठियां बरसाई जाती हैं। यह तानाशाही प्रदेश में नहीं चलेगी।
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