चंडीगढ़। गैंगस्टर लाॅरेंस के पंजाब पुलिस की कस्टडी में हुए इंटरव्यू मामले की आज पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत में बर्खास्त डीएसपी गुरशेर सिंह संधू की तरफ से वकील के माध्यम से अर्जी दाखिल की गई। साथ ही दावा किया कि गैंगस्टरों से उनके परिवार को खतरा है। पहले ही उन्हें दी गई सुरक्षा वापस ले ली गई है। जो बिल्कुल गलत है। हालांकि अदालत ने इस विषय को सुनने से इनकार कर दिया। दूसरी तरफ अदालत ने इंटरव्यू केस की सुनवाई करते हुए पूछा कि क्या इस मामले की जा कर रही एसआईटी के प्रमुख प्रबोध कुमार इस मामले की जांच को आगे जारी रख सकते हैं। क्योंकि वह इस महीने ही रिटायर हो रहे हैं। साथ ही पूछा कि पंजाब पुलिस के पास कितने डीजीपी है। अदालत ने अगली सुनवाई पर पुलिस को एडीजीपी व डीजीपी स्तर के नाम देने एसआईटी देने के लिए कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई तीस जनवरी को होगी।
लॉरेंस का पहला इंटरव्यू 14 मार्च को ब्रॉडकास्ट हुआ था। जिसमें लॉरेंस ने सिद्धू मूसेवाला का कत्ल करवाने की बात कबूल की थी। लॉरेंस का कहना था कि मूसेवाला सिंगिंग के बजाय गैंगवार में घुस रहा था। उसके कॉलेज फ्रेंड अकाली नेता विक्की मिड्डूखेड़ा के कत्ल में भी मूसेवाला का हाथ था। इसलिए उसे मरवाया। एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक ये वही इंटरव्यू है, जो उसने सीआईए की कस्टडी से दिया।लॉरेंस ने अपने दूसरे इंटरव्यू में जेल के अंदर से इंटरव्यू करने का सबूत भी दिया था। उसने अपनी बैरक भी दिखाई और बताया कि उसे बाहर नहीं जाने दिया जाता, लेकिन मोबाइल भी उसके पास आ जाता है और सिग्नल भी। लॉरेंस ने अपने इंटरव्यू में कहा कि रात के समय जेल के गार्ड बहुत कम आते-जाते हैं, इसीलिए वह रात को कॉल कर रहा है। लॉरेंस ने मोबाइल के अंदर आने के बारे में भी जानकारी दी थी। लॉरेंस के अनुसार मोबाइल बाहर से जेल के अंदर फेंके जाते हैं। कई बार जेल स्टाफ उन्हें पकड़ भी लेता है, लेकिन अधिकतर बार मोबाइल उस तक पहुंच जाता है।