एएम नाथ। धर्मशाला : हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश के राज्य मुख्य वक्ता रमेश भोला ने धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए भाजपा-कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इन दोनों दलों की सरकारों ने इस समुदाय को हमेशा वोट बैंक के रूप में ही इस्तेमाल किया जबकि उनकी मांग को लेकर कोई कदम नही उठाया। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही गद्दी समुदाय की सात उपजातियों के नेताओं व विभिन्न मंचों के खिलाफ भी आक्रोश जताया है। उन्होंने लगातार वंचित उपजातियों का शोषण किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब वह चुनावी मैदान में उतरेंगें।
यूनियन के प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में द्वितीय महासम्मेलन जोरावर सिंह मैदान में किया गया है। जिसमें हिमालयन गद्दी यूनियन के तहत आने वाले सिप्पी, धोगरी, रिहाड़े, लोहार, वाड़ी व हाली के लोग बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि गद्दी समुदाय की कुल 13 उपजातियों में से सात उपजातियों के लोगों ने कुछ दिन पहले धर्मशाला में बैठक की व कुल मिलाकर संख्या 25 हजार बताई है, जोकि सही है। रमेश भोला ने कहा कि अब अचानक गद्दी भाषी मंच बनाया गया है।
उन्होंने सवाल उठाया कि अब तक विदेशी व तिब्बती भी गद्दी बोलते हैं। लेकिन छह उपजातियों को पूरी तरह से दूर रखा जाता है। लेकिन चुनावों के समय वंचित उपजातियों को अपने साथ मिलाकर चलने की बात कहते हैं। मुख्य वक्ता ने कहा कि वंचित उपजातियों को धर्मशाला में ही 18 हजार के करीब वोटर हैं। ऐसे में अब उन्होंने गद्दी समुदाय की गद्दी शब्द वाली उपजातियों से आहवान करते हुए उन्हें जोड़ने की बात कही है। उन्होंने कहा कि उन्हें चाहिए कि गद्दी समुदाय की वंचित उपजातियों में से कोई व्यक्ति आगे आता है, तो उनका भी साथ दें। उन्होंने कहा कि गद्दी समुदाय ने सांसद, मंत्री व विधायक बनाया है, लेकिन वंचित उपजातियों को हमेशा वंचित रखा गया है।
हिमालयन यूनियन के प्रवक्ता ने कहा कि चुनावों के समय ऊनाली टल्ली यानी कि ऊन के काम करने वाले भेड़ पालक व ऊनी कपड़े पहनने वाले लोगों का नारा देते हैं। उन्होंने ऐतराज जताया कि सात गद्दी की उपजातियां अब फिर से बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी बैठकों में एक एक व्यक्ति को बुलाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी गद्दी शब्द से वंचित उपजातियों को नहीं जोड़ा जाता है, तो आने वाले समय में 2027 में पांच विस् क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारेंगे। वरिष्ठ उपाध्यक्ष मंगत राम ने कहा कि 13 उपजातियों में से छह उपजातियों के साथ भू-अभिलेख के साथ गद्दी शब्द नहीं जुड़ा है, जबकि वह भी संस्कृति व रहन-सहन से गद्दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि समुदाय के नेताओं से मिलने पर भी उन्होंने मांग के समर्थन को लेकर कोई कदम नहीं उठाया है।