चंडीगढ़ : यौन उत्पीड़न मामले में फंसे पंजाब के कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक्क की मुश्किलों बढ़ती जा रही हैं। इस मामले की जांच के लिए गठित की गई SIT के समक्ष पेश होने से पीड़ित केशव ने मना कर दिया है। इस के लिए SIT प्रमुख डीआईजी बार्डर रेंज नरिंदर भार्गव को केशव ने 2 पत्र लिखे हैं। जिसमें उसने कहा कि पंजाब में मंत्री और उसके समर्थकों से उसकी जान को खतरा है।
इसके साथ ही केशव ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि वह SIT के समक्ष ऑनलाइन पेश हो सकता है, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने बयान दर्ज करवा सकता है या फिर केशव ने दूसरा विकल्प दिया है कि पंजाब से बाहर दिल्ली में किसी सुरक्षित स्थान पर उसके बयान दर्ज किए जाएं। यदि SIT चाहे तो उसकी शिकायत को ही उसका बयान समझे।
मनजिंदर सिंह सिरसा ने डीआईजी को लिखा पत्र ट्वीट किया : कटारूचक्क मामले के शिकायतकर्ता केहव कुमार ने SIT के संदर्भ में लिखकर दिया है कि वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से SIT के समक्ष पेश हो सकते हैं या उन्हें दिल्ली में किसी सुरक्षित स्थान पर बुलाया जाये जहां उनकी जान को ख़तरा न हो।
उधर पंजाब के कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक्क के खिलाफ भुलत्थ से कांग्रेस विधायक सुखपाल खैरा ने एक बार फिर से आक्रमक होते हुए कहा कि सरकार पूरी तरह से गुंडागर्दी पर उतर आई है। मंत्री कटारूचक्क के खिलाफ जो भी मुंह खोलता है, सरकार उस पर केस ठोक रही है। शिकायतकर्ता राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पास शिकायत कर चुका है, वीडियो जारी कर चुका है, लेकिन अब एसआईटी उसे अकेले को बुला रही है। शिकायतकर्ता को डर है कि उसे किसी झूठे केस में फंसाकर अंदर कर दिया जाएगा।
खैरा ने पत्रकार वार्ता में कहा कि उन्होंने कटारूचक्क के खिलाफ मोर्चा खोला तो उनके खिलाफ दो-दो केस दर्ज हो गए। पठानकोट के गांव ढाकी सैदां (नंगल भूर) के सरपंच गगनदीप सिंह ने पीड़ित (जो कि कटारूचक्क का शिकार हुआ था) की मदद की तो मंत्री ने अपने वन विभाग के माध्यम से सरपंच और परिवार पर फॉरेस्ट एक्ट में केस दर्ज करवा दिया। राज्यपाल के माध्यम से सरकार को मंत्री कटारूचक्क की प्रमाणित वीडियो मिल जाने के बाद भी अब तक उस पर केस दर्ज क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा कि उल्टा सरकार का मंत्री इस मामले पर बोलने वालों पर झूठे केस दर्ज करवा रहा है।
उन्होंने कहा कि भगवंत मान खुद कहते थे मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिए एसआईटी बनाई जाती है। अब वह कटारूचक्क पर राज्यपाल से पत्र आने के बाद भी केस दर्ज करने की बजाय एसआईटी से जांच क्यों करवा रहे हैं। क्या वह मामले को ठंडे बस्ते में डालकर कटारूचक को बचाना चाहते हैं।