एएम नाथ। सोलन : सोलन जिले में मिड डे मील योजना से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। हाल ही में दिग्गल के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अचानक निरीक्षण के दौरान यह पता चला कि स्कूल में कोई भी बच्चा मौजूद नहीं था।
इसके बावजूद, स्कूल प्रबंधन ने एमडीएम के एएमएस पोर्टल पर 80 बच्चों के भोजन की जानकारी दर्ज की थी। यह स्थिति न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि स्कूल में वास्तविकता से कितनी दूर हैं। किचन में पक रहा था खाना, बच्चे नहीं थे
निरीक्षण टीम ने जब किचन का दौरा किया, तो वहां चावल और पनीर पकाया जा रहा था। सवाल यह उठता है कि जब स्कूल में बच्चे नहीं थे, तो यह खाना किसके लिए बनाया जा रहा था? यह स्थिति एमडीएम योजना में हो रही गड़बड़ी की ओर इशारा करती है।
इस गड़बड़ी की जानकारी मिलते ही जिला एमडीएम नोडल अधिकारी राजकुमार पराशर ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने स्कूल प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी किया और पूछा कि जब बच्चे स्कूल में नहीं थे, तो फर्जी आंकड़े क्यों दर्ज किए गए। जिला एमडीएम नोडल अधिकारी को पहले से ही दिग्गल स्कूल के खिलाफ कई शिकायतें मिल चुकी थीं। इसी कारण उन्होंने निरीक्षण का आदेश दिया, जिससे स्कूल प्रबंधन की पोल खुल गई।
शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्कूल प्रबंधन से लिखित जवाब मांगा है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला केवल एक स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर में एमडीएम योजना में इस तरह की शिकायतें आती रही हैं। इसलिए सरकार ने एएमएस लागू किया है, ताकि वास्तविक आंकड़े समय पर मिल सकें।
फर्जी आंकड़े अपलोड करने से न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग होता है, बल्कि इससे योजना की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है। ऐसे मामलों में अक्सर देखा गया है कि तैयार खाना निजी उपयोग में लिया जाता है या बेचा जाता है। इस मामले में स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ शिक्षकों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। शिक्षा विभाग यह जांच कर रहा है कि एमडीएम प्रभारी ने बच्चों की गैरहाजिरी के बावजूद फर्जी रिपोर्ट क्यों भेजी।