अयोध्या : भगवान रामलला के मंदिर की भव्यता का अंदाजा लगाना कल्पना से परे है। गर्भगृह के दरवाजे की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां के दरवाजे स्वर्ण जड़ित लग रहे हैं। इन दरवाजों को बनाने वाले कारीगर हैदराबाद के अनुराधा टिम्बर इंटरनेशनल कंपनी से आए हैं। इस कंपनी के मालिक शरद बाबू ने बताया कि बहुत ही कम समय में हम लोगों ने इस काम को पूरा किया है। शरद बाबू ने बताया कि इन दरवाजों को नागर शैली में बनाया गया है। उन्होंने कहा कि बड़े मंदिरों के दरवाजे बनाने का उनका पुराना अनुभव है। इसी के आधार पर उनके कारीगरों ने बेहद ही बारीक तरीके से लकड़ी पर कलाकृतियों को आकार दिया है। शरद बाबू ने बताया कि राम मंदिर में लगाने के लिए 14 स्वर्ण जड़ित दरवाजे सोमवार को रामनगरी पहुंच गए। जिन्हें मंदिर परिसर में सीसी टीवी कैमरे और कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। इन दरवाजों को 15 जनवरी से लगाने का काम शुरू होगा।उन्होंने कहा कि सभी काम प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले पूरे कर लिया जाएगा। उन्होनें बताया मंदिर में लगने वाले दरवाजों के लिए लकड़ियां महाराष्ट्र से लाई गई थीं। इसके लिए खास तरह के सागवान को मंगवाया गया है। शरद ने दावा किया कि दरवाजे ऐसे बनाए गए हैं, और इस तरह की मजबूत लकड़ी से बनाए गए हैं कि आने वाले 1000 साल तक यह खराब नहीं होगा।
उन्होनें बताया कि पिछले छह महीनों से दिन रात यहां काम चल रहा है।लगभग 60 कारीगर इस काम में जुटे हुए हैं. शिफ्ट के हिसाब से यहां काम हो रहा है। कम समय में बड़ा काम करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं। उन्होंने कहा कि भगवान राम की विशेष कृपा है जिससे कि यह काम समय से पूरा हो पा रहा है।