एएम नाथ। शिमला : प्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर को लेकर एक बड़ा फैसला किया गया है। अब अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर के फैसलों में विधायकों की सहमति शामिल होगी संबंधित विधानसभा क्षेत्र के वियाधकों की सहमति और मंत्री के नोट के बाद ही प्रदेश में किसी भी सरकारी अधिकारी और कर्मचारी का ट्रांसफर हो पाएगा।
इसके पीछे तर्क ये दिया जा रहा है कि हर विधायक अपने इलाके की पूरी जानकारी रखता है. ऐसे में विधायकों की सहमति लेना भी आवश्यक है. कई बार ऐसा हुआ है कि शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग, बिजली बोर्ड और अन्य डिपार्टेमेंट में कई मंत्रियों के नोट पर विधायकों को विश्वास में नहीं लिया गया. इस कारण कई जगह अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक हो गई।
अधिकारी-कर्मचारी देते हैं ट्रांसफर के लिए पत्र
इतना ही नहींं इस वजह से कई जगह स्टाफ की कमी हो गई है. इन सब बातों को मद्देनजर रखते हुए ही अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर के फैसलों में अब विधायकों की सहमति को जरूरी किया गया है. बता दें कि मुख्यमंत्री और मंत्री को इलाकों के दौरों के दौरान वहां कर्मचारी और अधिकारी ट्रांसफर को लेकर पत्र देते हैं।
इसके बाद मुख्यमंत्री और मंत्रियों के ऑफिस से नोट जारी होते हैं. ये नोट उन विभागों के पास जाते हैं, जहां पर वो अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत होते हैं. फिर अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर का ऑर्डर जारी कर दिया जाता है. ट्रांसफर के बाद कई बार ये बात सामने आती है कि जहां से अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रांसफर किया गया है, उस सीट पर अब कोई दूसरे अधिकारी, कर्मचारी हैं ही नहीं. इन सबको देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
सबंधित विधानसभा क्षेत्र के विधायक को अपने इलाके के स्कूलों में शिक्षक की संख्या, लोक निर्माण विभाग और अन्य विभाग में कर्मचारियों की संख्या पता रहती है. आम लोगों की सुविधा को मद्देनजर रखते हुए विधायकों की ओर से नोट जारी किया जाता है, लेकिन विधायकों को भी विभागों की स्थिति को देखना होगा और उसके बाद नोट जारी करना होगा।