सीबीआई की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना विपक्ष का शर्मनाक कृत्य , परिजनों पर सरकार के मंत्रियों ने डाला दबाव
एफआईआर में एक अधिकारी का नाम क्यों नहीं डाल रही है सरकार
एएम नाथ। शिमला : विधानसभा में प्रश्न काल के पहले नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव लाकर विमल नेगी की मौत पर चर्चा मांगी गई। जिसे अस्वीकार करने के बाद भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने सदन से वाकआउट किया। इस दौरान मीडिया के प्रतिनिधियों से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता विमल नेगी की मौत पर सरकार चर्चा से भाग रही है। इसके साथ ही सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए निष्पक्ष जांच से भी भाग रही है। मुख्यमंत्री इशारे से कहते हैं उन्हें इस विषय पर कुछ नहीं कहना है। सरकार के मंत्री परिजनों पर दबाव डालकर प्रदर्शन खत्म करवाते हैं। देश की सबसे प्रतिष्ठित जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई के बारे में सत्ता पक्ष के मंत्री कह रहे हैं कि उससे जांच क्यों करवानी? इसके साथ ही सीबीआई की निष्ठा और प्रतिष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं। विमल नेगी के परिजन और सहकर्मी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। पॉवर कारपोरेशन के उच्च अधिकारियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। और सरकार बड़े संवेदनहीन तरीके से कह रही है कि सीबीआई जांच क्यों करवानी है?
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि परिजनों द्वारा शव को पावर कारपोरेशन के कार्यालय के सामने रखकर प्रदर्शन किया गया। विधानसभा सत्र के बाद हम भी परिजनों से मिलने गए। परिजनों ने कई अधिकारियों पर नाम ले लेकर विमल नेगी को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। गलत काम करवाने के लिए दबाव देने का आरोप लगाया। विमल नेगी के सहयोगी उन अधिकारियों पर सवाल उठा रहे हैं। परिजनों द्वारा एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई, पुलिस द्वारा जो एफआईआर दर्ज की गई उसमें बड़ी मुश्किल से एक अधिकारी का नाम डाला गया लेकिन दूसरे अधिकारी का नाम नहीं डाला गया। सरकार उस अधिकारी को बचा रही है। आखिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है जो एक अधिकारी को बचा रही है? इन सवालों के जवाब प्रदेश के लोगों को जानना चाहिए। विमल नेगी की मौत का क्या कारण है, उनकी मौत के जिम्मेदार कौन लोग हैं। यह तथ्य सामने आना जरूरी है। इसीलिए भारतीय जनता पार्टी पहले दिन से ही परिवार की मांग का समर्थन करते हुए पूरे प्रकरण की निष्पक्षता से जांच के लिए सीबीआई जांच की मांग कर रही थी।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा विमल नेगी की मौत के मामले में चर्चा मांगे जाने के बाद भी चर्चा का अवसर नहीं मिला। सरकार ने भी इस चर्चा का विरोध करते हुए इसे आवश्यक नहीं बताया। आखिर सरकार क्या छुपाना चाह रही है जो इस चर्चा से भाग रही है? यह प्रदेश के एक कर्मठ अधिकारी की मौत का मामला है, जिसका सच बाहर आना चाहिए। इसके साथ ही साथ इस बात से भी पर्दा उठाना चाहिए कि जिन अधिकारियों का विभाग के छोटे से बड़ा हर कर्मचारी और अधिकारी विरोध कर रहा है उन अधिकारियों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करने के बजाय उन्हें प्रोत्साहित क्यों कर रही है। ऐसे अधिकारियों को पांच पांच सीनियर को सुपरसीड करके प्रमोशन क्यों दिया जाता है? सरकार की इस कृपा के पीछे आखिर क्या कारण हैं। यह भी प्रदेश के लोगों को जानना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विमल नेगी के मामले में सरकार का रवैया उनके गायब होने वाले दिन से ही बहुत निराशाजनक रहा है। परिजनों के अनुसार विमल को खोजने के लिए पुलिस ने उतने गंभीर प्रयास नहीं किया जितने करने चाहिए। परिजनों को दो-दो बार मुख्यमंत्री के सामने जाकर मदद मांगनी पड़ी। पहले सरकार ने विमल नेगी की तलाश में कोताही बरती और अब उनके परिजनों की मांग को दरकिनार करके उनके साथ नाइंसाफी कर रही है। भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी और सदन से सड़क तक इस मुद्दे को उठाएगी।