राकेश शर्मा । देहरा :
व्यय पर्यवेक्षक अल्पेश कुमार त्रिकमलाल परमार (आईआरएस) ने आज वीरवार को एसडीएम ऑफिस देहरा में विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार व्यय की दूसरी बार जांच की। बैठक में व्यय पर्यवेक्षक ने उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों को चुनाव प्रचार के खर्च का ब्यौरा रोजाना रजिस्टर में दर्ज करने को कहा है ताकि अकाउंटिंग टीम द्वारा बनाए गए शैडो रजिस्टर से इसका मिलान कर खर्च का सही आकलन किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर सभी उम्मीदवार रोजाना अपने खर्चों का ब्यौरा पारदर्शिता के साथ रजिस्टर में दर्ज करेंगे तो इससे उन्हें भी चुनाव खर्च की गणना करने में आसानी होगी।
बता दें, इससे पूर्व 28 जून को चुनाव व्यय खातों का निरीक्षण किया जा चुका है तथा 8 जुलाई को चुनाव से पहले अंतिम बैठक में प्रत्याशियों के खर्च रजिस्टर का निरीक्षण तथा शैडो रजिस्टर से मिलान किया जाएगा। व्यय पर्यवेक्षक ने बताया कि नामांकन पत्र दाखिल करते ही उम्मीदवार के खर्चे की गणना शुरू हो जाती है और चुनाव परिणाम घोषित होने तक जारी रहती है। व्यय पर्यवेक्षक ने बताया कि उम्मीदवारों के अपने व्यय रजिस्टर के अलावा निर्वाचन आयोग की टीमें भी शैडो रजिस्टर बनाती हैं। निरीक्षण के दौरान इन दोनों रजिस्टरों का मिलान भी किया जाता है, ताकि चुनावी खर्च का सही आकलन किया जा सके।
प्रत्येक गतिविधि और खर्चे पर है नजर
निर्वाचन प्रक्रिया को स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्वक संपन्न करवाने के लिए व्यय पर्यवेक्षक ने सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे आदर्श आचार संहिता का अनुपालन सुनिश्चित करें। इस अवसर पर व्यय पर्यवेक्षक ने उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों को चुनावी खर्च की गणना के संबंध में कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी दिए। व्यय पर्यवेक्षक अल्पेश कुमार ने कहा कि चुनावी व्यय की निगरानी के लिए गठित टीमें सभी चुनावी गतिविधियों एवं खर्चे पर लगातार नजर रख रही हैं। इस दौरान उन्होंने उपस्थित प्रतिनिधियों और अधिकारियों को चुनावी व्यय संबंधी जानकारी देने के साथ ही उनके प्रश्नों-शंकाओं के जवाब देकर शंका समाधान भी किया।
निर्धारित सीमा में ही करें खर्च नहीं तो होगी कार्रवाई
व्यय पर्यवेक्षक अल्पेश कुमार ने बताया कि चुनावी खर्चे का नियमानुसार हिसाब न देने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है और उनके चुनाव लड़ने पर 3 साल तक का प्रतिबंध लग सकता है। उन्होंने बताया कि विधानसभा उपचुनाव के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित राशि से अधिक व्यय करने पर प्रत्याशी के विजयी होने पर भी उसकी सदस्यता जा सकती है। इसलिए सभी प्रत्याशी निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित सीमा के अंदर ही प्रचार पर धनराशि व्यय करें। उनके चुनावी व्यय की निगरानी के लिए वीडियो सर्विलेंस टीमें लगातार नजर रख रहीं हैं। शैडो ऑब्जरवेशन रजिस्टर पर उनके सारे खर्चे की गणना की जा रही है। उन्होंने बताया कि व्यय रजिस्टर का मिलान शैडो ऑब्जरवेशन रजिस्टर से नहीं होता है तो प्रत्याशी को नोटिस जारी किया जाएगा।
यह रहे उपस्थित
रजिस्टर मिलान के दौरान एसडीएम व रिटर्निंग अधिकारी शिल्पी बेक्टा सहित उम्मीदवारों एवं राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि और अकांउटिंग अधिकारी उपस्थित रहे।
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