जनता की आवाज को नीतियों में बदलने का प्रभावी माध्यम है विधायिका : पठानिया
एएम नाथ। शिमला/दिल्ली :
राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के दसवें सम्मेलन को नई दिल्ली में संबोधित करते हुए मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के माननीय अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि सतत एवं समावेशी विकास आज के समय में सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक प्राथमिकताओं में से एक है।
समावेशी विकास हमारी सनातन संस्कृति का अंग है। सर्वे भवन्तु सुखिनः भारत की परम्परा है। उन्होंने कहा कि विकास सतत होने के साथ समावेशी, सर्वस्पर्शी और सर्वव्यापी होना चाहिए, ताकि उसका लाभ प्रत्येक वर्ग को मिल सके।
उन्होंने कहा कि विधायिका विकास की आधारशिला है। यह लोकतंत्र का एक प्रमुख स्तम्भ होने के साथ ही भविष्य की कुंजी है। विधायिका द्वारा निष्ठा व संवेदनशीलता से अपनी भूमिका के किये गए निर्वहन से सभी को समान अवसर मिलने के साथ प्रगतिशील समाज की रचना हो सकती है।
पठानिया ने कहा कि विधायिका को जनता के साथ जुडकर उनकी आवश्यकताओं और आंकाक्षाओं को समझना होगा। जातिवाद, क्षेत्रवाद, सदन की कम होती बैठकों, सदन संचालन में बढती बाधाओं सहित अनेक चुनौतियों का सामना करके लोगों को लाभ पहुँचाने के लिए विधायिका को अधिक सक्रिय व संवेदनशील होना होगा।
उन्होंने कहा कि विधायिका के पास भविष्य के सतत और समावेशी विकास के लिए अनगिनत संभावनाएं है। सही दिशा में कदम उठाकर प्रत्येक व्यक्ति को विकास की धारा से जोड़ा जा सकता है। विधायिका को ऐसे कानून बनाने चाहिए, जिससे हाशिए पर खडे समुदायों और अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि विधायिका जनता की आवाज को नीतियों में बदलने का प्रभावी माध्यम है।
हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ पेयजल की अनुपलब्धता और ऊर्जा की बढ़ती आवश्यकता वैश्विक चिंता के विषय हैं। इन दिशाओं में सभी को मिलकर कडे और दूरगामी निर्णय लेने होंगे।