सांसद मनीष तिवारी ने कर्मचारियों की मांगों का किया समर्थन : कहा: यदि कर्मचारियों की समस्याओं का हल नहीं हो रहा, तो आम लोगों की क्या स्थिति होगी

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चंडीगढ़, 21 सितंबर: चंडीगढ़ से सांसद मनीष तिवारी ने अपने अधिकारों के लिए लगातार विभिन्न स्तरों पर संघर्ष कर रहे कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुए, उनके लिए संसद से सड़क तक आवाज उठाने का भरोसा दिया है। यूटी चंडीगढ़ के सरकारी और नगर निगम कर्मचारियों की को-ऑर्डिनेशन कमेटी द्वारा आयोजित 7वीं डेलिगेट्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, सांसद ने कहा कि किसी भी स्तर पर कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।


सांसद ने जोर देते हुए कहा कि बेहद दुःख की बात है कि इस शहर और देश का प्रशासन चलाने वाले कर्मचारियों को भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों की समस्याओं का हल नहीं किया जा सकता, तो आम लोगों की क्या स्थिति होगी, इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। तिवारी ने कहा कि आउटसोर्स पर काम करने वाले कर्मचारियों को रेगुलर स्टाफ की तर्ज पर सुविधाएं मिलनी चाहिए, जो विषय मानवीय आधार पर भी बहुत अहम है। इसी तरह उन्होंने बोनस एक्ट लागू किए जाने की मांग का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मांगे ऐसी भी नहीं हैं, जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। तिवारी ने कहा कि वह कर्मचारियों के साथ मजबूती से खड़े हैं और अगर जरूरत पड़ी, तो उनके लिए संसद से सड़क तक भी लड़ाई लड़ जाएगी।


इस दौरान चंडीगढ़ कांग्रेस प्रधान एच. एस लक्की ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से कर्मचारियों के समर्थन में रही है। पार्टी की सरकारों ने कर्मचारियों के हित में कई कदम उठाए हैं और इस बार भी पार्टी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के हितों की अनदेखी करके कोई भी देश तरक्की नहीं कर सकता और वे हमारी व्यवस्था का एक अहम अंग हैं।


गौरतलब है कि सतिंदर सिंह, सुखबीर सिंह, राजिंदर कुमार, किशोरी लाल, पंडित सुरेश कुमार और शीश पाल की अध्यक्षता में हुई इस कॉन्फ्रेंस में 37 यूनियनों के 500 प्रतिनिधियों और 60 पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। कांफ्रेंस के आरंभ में महिला प्रतिनिधियों द्वारा ध्वजारोहण किया गया तथा उद्घाटन सांसद मनीष तिवारी द्वारा किया गया।
इस अवसर पर महासचिव राकेश कुमार ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें समन्वय समिति ने लंबे समय से आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित नीति बनाने, समान काम के लिए समान वेतन, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बोनस, डीसी रेट्स में रह गई त्रुटियों को दूर करने और रिक्त पदों को भरने समेत कई अन्य मांगें उठाई गईं।

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