सतलुज ब्यास टाइमस द्वारा जमीनी हकीकत से जुडी खबर छापे जाने के बाद रिव्यू कर रही कांग्रेस
एएम नाथ। हमीरपुर : हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस हाईकमान डिप्टी सीएम मुकेश अग्रिहोत्री को उतार कर यहां भाजपा उम्मीदवार अनुराग ठाकुर का विजय रथ रोक सकती है। वहीं मुकेश अग्निहोत्री के मैदान में उतरने से हिमाचल प्रदेश में काग्रेस की सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बादल भी कम हो सकते हैं। इस संबंध में सतलुज ब्यास टाइमस ने सबसे पहले चार अप्रैल को ही खबर प्रकाशित कर दी थी। हालांकि उस समय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सीधे तौर पर ऊना के पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को चुनावी मैदान में डट जाने को कह दिया था और सतपाल रायजादा चुनावी तैयारी में जुट भी गए थे।
लोकसभा सीट पर सतपाल रायजादा के नाम को लगभग हरी झंडी दे चुकी काग्रेस हाईकमान ने सतलुज ब्यास टाइमस द्वारा जमीनी हकीकत से जुडी खबर छापे जाने के बाद रिव्यू करना शुरू किया तो पहले उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री की बेटी आस्था अग्रिहोत्री के नाम पर चर्चा होने की बात सामने आई तो कुछ दिनों में ही उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने अपने सोशल मीडिया पर अपनी बेटी आस्था अग्रिहोत्री की वीडियो पोस्ट की। जिसमें आस्था अग्रिहोत्री ने चुनाव लड़ने से साफ मना कर दिया था। इसके बाद हाईकमान के पास एकमात्र रास्ता है कि मुकेश अग्रिहोत्री को लोकसभा सीट से मैदान में उतार दें अन्यथा भाजपा को इस सीट से वाकओवर मिल सकता है और लोक सभा सीट के अंतर्गत आती चार विधानसभा सीटों सुजानपुर, बड़सर, कुटलैहड़ और गगरेट में होने वाले उपचुनाव में काग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री को हिमाचल की राजनीति का चाणक्य माना जाता है और प्रदेश की राजनीति में बड़ा चेहरा है। हरोली विधानसभा हल्के से पांचवी बार शानदार जीत दर्ज कर अब प्रदेश के डिप्टी सीएम हैं। उनका जनाधार भी काफी मजबूत है। अगर मुकेश अग्निहोत्री हाईकमान की बात मान कर चुनावी मैदान में आ गए तो खुद के सेफ जोन में मान कर चल रहे भाजपा उमीदवार अनुराग ठाकुर को अपनी चुनावी रणनीति तो बदलनी ही पड़ेगी और हल्के से बाहर अन्य सीटों पर चुनाव प्रचार करना भी उनके लिए मुश्किल हो जाएगा।
हालांकि मुकेश अग्निहोत्री लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं। अब देखना यह है कि कांग्रेस हाईकमान कया फैसला करती है और क्या मुकेश अग्निहोत्री चुनाव लड़ने को तैयार होते हैं या नहीं। इस सभी के चलते कांग्रेस हाईकमान द्वारा हमीरपुर और चम्बा लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार फाइनल होने वाली देरी से यहाँ कांग्रेस पिछड़ती नजर आ रही है। उम्मीदवार फाइनल न होने के कारण कांग्रेस का चुनाव प्रचार हमीरपुर और चम्बा लोकसभा सीटों पर गति नहीं पकड़ रहा। जबकि भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोक दी है।